अब ‘सुदर्शन-चक्र’ उठा लो योगेश्वर
देश के प्रत्येक कोने से एक ही आवज सुनाई दे रही है: पाकिस्तान को सबक सिखाओ-मुँहतोड़ जवाब दो-जवानों की शहादत का बदला लो-सख्त सैनिक कार्यवाही करके पाकिस्तान के टुकड़े कर दो। पड़ोसी देश शिशुपाल ने भारत की धरती पर निरंतर भारी खून खराबा करके सौ से ज्यादा गालियां दे दी हैं, उसकी गर्दन काटने के लिए अब तो सुदर्शन चक्र उठा ही लो योगेश्वर। कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरवों की सेना अपनी मौत का निमंत्रण दे रही है, अब योगेश्वर भारत को अपने पांचजन्य (शंख) का गगनभेदी उठघोष करके पांडव सेना को सीमापार जाने के आदेश देने में देर नहीं करनी चाहिए।
आतंकी, नापाक और असभ्य पाकिस्तान की खूनी हरकतों का जवाब उसी के खून से देने के सिवा अब और कोई रास्ता नहीं बचा। पिछले सात दशकों में पाकिस्तान ने कश्मीर और पंजाब समेत पूरे भारत में सैनिक हस्तक्षेप करके तबाही मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब तो स्थिति इतनी विसफोटक हो गई है कि पाकिस्तान समर्थित एक कश्मीरी आतंकवादी हमारे 40 सैनिकों को बिना लड़ाई के ही मार देता है। सीमाओं पर पाकिस्तानी गोलाबारी आए दिन होती रहती है। कश्मीर की धरती पर बारूदी विस्फोट लगातार हो रहे हैं।
अलगाववादियों के इशारे पर कश्मीर के कुछ नवयुवक आतंकवाद का सफाया कर रहे हमारे सैनिकों पर पत्थरबाजी कर रहे हैं। हमारी आंतरिक सुरक्षा पर रात दिन खतरा मंडराया रहता है। हम अपना स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस भी बिना भारी सुरक्षा बंदोबस्त के सम्पन्न नहीं कर सकते। आखिर पाकिस्तान प्रायोजित यह वीभत्स नरसंहार कब तक होते रहेंगे?
सर्वविदित है कि पाकिस्तान अपने जन्मकाल से ही अपने जन्मजात उद्देश्य (मुस्लिम भारत) को साकार करने के लिए हमारे देश में पिछले 70 साल से निरंतर हिंसक हस्तक्षेप कर रहा है। हम और हमारे बहादुर सैनिक अपने बलिदान देकर उसको मुंहतोड़ जवाब भी दे रहे हैं। चार बड़े युद्धों में हमारी सेनाओं ने पाकिस्तान की जमकर पिटाई की है। सीधे युद्ध में यह आतंकी देश भारत का सामना नहीं कर सकता। इसीलिए उसने पिछले 3 दशकों से ‘आपरेशन टोपक’ के तहत भारत की जमीन पर स्थानीय लोगों (पाकिस्तानी एजेंटों/गद्दारों) की मदद से गुरिल्ला आतंकवाद (खुला युद्ध) छेड़ रखा है। इस ‘आपरेशन टोपक’ की रणनीति पाकिस्तान के पूर्व सैनिक राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक ने चीन के पूर्व प्रधानमंत्री यऊ-एन-लाई के मार्गदर्शन में शुरू की थी।
पूर्व काल में हुए 4 सीधे युद्धों (1947, 1965, 1971, 1999) में पराजित होने के बाद अब गुरिल्ला आतंकवाद के जरिये पाकिस्तान भारत की अखंडता, सुरक्षा और अस्मिता को खुली चुनौती दे रहा है। इसका सीधा अर्थ यही है कि जब तक पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पार जीवित रहेगा, वह भारत को परास्त करने के लिए प्रत्येक हथकंडे का इस्तेमाल करता रहेगा। अपने मजहबी जुनून, जन्मजात हिन्दू विरोध, इस्लामी विस्तारवाद और दारुल इस्लाम के नशे में धुत मुल्क का एक ही इलाज है – ‘शठे शाठयं समाचरेत् अर्थात दुष्टों का दुष्टता से सर्वनाश।
पाकिस्तान और भारत की लड़ाई साधारण नहीं है और न ही पाकिस्तान एक आम सभ्य मुल्क की तरह है। इसका निर्माण भारत, भारतीयता और हिन्दुत्व से नफरत की कट्टरपंथी बुनियाद पर हुआ है। भारत को समाप्त करने के लक्ष्य से भारत में घुसे हमलावर लुटेरे मोहम्म्द बिन कासिम, मोहम्म्द गौरी, महमूद गजनवी, नादिरशाह, बाबर और इनके वंशजों की दहशतगर्द तहजीब का खूनी स्मारक है पाकिस्तान।
इस तरह के दहशतगर्द मुल्क को समाप्त करना यह भारत ही नहीं अपितु समूचे विश्व में इंसानियत की रक्षा के लिए भी जरूरी है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विधाता ने इस ईश्वरीय कार्य को सम्पन्न करने का दायित्व भारत के वर्तमान यशस्वी, तपस्वी और वीरव्रती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दिया है।
अतः लातों के भूतों को बातों से सुधारने का समय अब समाप्त हो गया है। युद्ध की रणभेरी बजने वाली है। हमारी ब्रह्मोस, त्रिशूल, अग्नि और पृथ्वी इत्यादि मिसाइलें, हमारे शक्तिशाली लड़ाकू एयरक्राफ्ट, टैंक, स्वचालित अस्त्र, हमारी थल, वायु और समुद्री सैन्यशक्ति केवल मात्र 26 जनवरी को प्रदर्शन करने के लिए न होकर, अब शत्रुओं के संहार के लिए शस्त्रागारों से बाहर निकलकर सीमोल्लंघन करते हुए भारत, धर्म, संस्कृति और मानवता के दुश्मनों का सर्वनाश करेगी। – वंदेमातरम।
——क्रमशः जारी
-नरेन्द्र सहगल