1947 में पाकिस्तानी सेना द्वारा जम्मू कश्मीर में किये गए नरसंहार

1947 में जम्मू कश्मीर के भारत अधिमिलन से ठीक पहले पाकिस्तान ने 22 अक्तूबर को जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया. इस हमले में पाकिस्तानी सेना के साथ कबाइली सेना ने जम्मू कश्मीर में वो नरसंहार किया. जिसकी बानगी मानव इतिहास में कम ही मिलती है. पाकिस्तानी हमले के जवाब में भारत ने सेना भेजी. लेकिन जिन इलाकों पर पाकिस्तान कब्जा कर चुका था. वहां पाकिस्तानी हमलावरों ने हजारों लोगों का कत्लेआम किया. उन्होनें ना सिर्फ हिन्दुओं और सिखों का नरसंहार किया. बल्कि मुस्लिम मस्जिदों तक को कबाइली हमलावरों ने नहीं छोड़ा.

जम्मू कश्मीर पर हुए आक्रमण के रचयिता थे – पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अकबर खान. अकबर खान ने ही आक्रमण की योजना और रणनीति बनाकर इस कत्लेआम को अंजाम दिया. पाकिस्तानी सेना और पठानों ने एक साथ मुज़्ज़फ़्फ़राबाद, बारामुल्ला, पुँछ और मीरपुर पर धावा बोल दिया. निर्ममता से लगभग 10 हजार हिन्दू और सिख लोगों को मार डाला. एक अमरीकी पत्रकार, मार्गरेट बर्क वाइट, इस आक्रमण के समय कश्मीर में थी. उन्होंने लिखा कि इस नरसंहार में कई गाँव तबाह हो गए, पाकिस्तानी सेना ने मासूम महिलाओं के साथ बलात्कार किया, इनमें हिन्दू, सिख, मुस्लिम सभी महिलाएँ थीं, सैकड़ों महिलाओं को अगवा कर लिया गया.

मीरपुर नरसंहार

25 नवम्बर 1947 को मीरपुर में जो कत्लेआम शुरू हुआ वो कई दिनों तक चलता रहा. आधुनिक हथियारों से लैस पाकिस्तानी सिपाहियों ने जम्मू कश्मीर के मीरपुर पर धावा बोल दिया और केवल एक ही दिन में 20 हज़ार निर्दोष स्त्री, पुरुष, बच्चों की निर्मम हत्या की. हज़ारों हिन्दू और सिखों के अमानवीय नरसंहार के बाद पाकिस्तान ने अवैध रूप से मीरपुर को कब्जा लिया जो आज भी पाकिस्तान के कब्ज़े में है और पाक अधिक्रान्त जम्मू कश्मीर के नाम से जाना जाता है.

राजौरी नरसंहार

07 नवम्बर 1947 को पाकिस्तानी हमलावरों ने राजौरी पर आक्रमण किया और उस पर कब्ज़ा कर लिया. पूरे शहर को मुसलमानों की भीड़ ने घेर लिया, हिन्दू घरों को लूटा महिलाओं का बलात्कार किया या उन्हें अगवा कर लिया. राजौरी में रहने वाले लगभग 30 हजार हिन्दू और सिखों की या तो हत्या कर दी गयी या बुरी तरह घायल कर दिया गया.

भिम्बर नरसंहार

24 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने भिम्बर पर धावा बोलकर, वहाँ अंधाधुंध हिंसा की, लूट पाट और आगजनी की, महिलाओं की इज़्ज़त लूटी. हज़ारों निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या की और भिम्बर को अवैध तरीके से कब्ज़ा लिया. आज भिम्बर पाक अधिक्रान्त जम्मू कश्मीर का हिस्सा है.

कोटली नरसंहार

सोची समझी साज़िश के तहत पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर के कोटली में धावा बोला. पाकिस्तानी सैनिकों ने सामूहिक बलात्कार, बड़े पैमाने पर लूट पाट, आगजनी, तोड़फोड़, अपहरण कर, हज़ारों महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को क्रूरता से मौत के घाट उतार दिया.

बारामूला नरसंहार

22 अक्तूबर 1947 को ‘ऑपरेशन गुलमर्ग’ के कोड या सांकेतिक नाम से बहुत बड़ी संख्या में पाकिस्तानी कबाईलों और सेना ने कश्मीर पर आक्रमण किया. कबाईलों के साथ सादे कपड़ों में पाकिस्तानी सैनिक रावलपिंडी- मुज़्ज़फ़्फ़राबाद- बारामुल्ला के रास्ते कश्मीर में आये. 25 अक्तूबर को इन लोगों ने बारामुल्ला पर कब्ज़ा कर लिया. वहाँ ये कई दिनों तक रहे और आगजनी, लूट पाट, तोड़फोड़, बलात्कार और हत्याएं बिना किसी रोक टोक के करते रहे. संत जोसफ कान्वेंट में यूरोपियन नन्स की और मिशनरी अस्पताल में क्रिश्चन नर्सों की सामूहिक बलात्कार के बाद निर्मम हत्या कर दी. कई लड़कियों को उठा लिया और कई पूजा स्थलों में तोड़फोड़ और लूटपाट कर उन पवित्र स्थलों को जान बूझकर दूषित कार्यों से अपवित्र किया. अंततः 27 अक्तूबर 1947 को भारतीय सेना दिल्ली से विमान द्वारा श्रीनगर पहुँची. लूटपाट करते ये कबाईले बारामुल्ला को लूटने के बाद श्रीनगर की ओर जाने लगे, पर रस्ते में उनकी भिड़ंत भारतीय सेना से हो गयी, हमारी सेना ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया. सो 8 नवम्बर को वे बारामुल्ला से 300 ट्रकों में लूट का सामान लाद कर अपने साथ ले गए.

मुज़्ज़फ़्फ़राबाद नरसंहार

कबाइली आक्रमण की क्रूरता का वर्णन करते हुए ख्वाज़ा अब्दुल समाद कहते हैं – अधिकतर हिन्दुओं की सम्पत्तियों पर आग लगा दी गयी, कई हिन्दुओं और सिखों की निर्मम हत्या कर दी गयी, और अभी भी उनकी लाशें उनके घरों में या सड़कों पर पड़ी हुई थीं. पिछले दो दिनों में कबाइली कई लाशें घसीट घसीट कर लाए और नदी में फैंक दीं…….. इनके आक्रमण ने मुज़्ज़फ़्फ़राबाद को तबाह कर दिया. हिन्दू – मुसलमानों के घर लूट लिए, दुकानों पर डाका डाला और सारा सामान ट्रकों में लाद दिया. उन्होंने धार्मिक स्थलों को भी नहीं छोड़ा, वे वहाँ गए और जो भी चीज़ कीमती लगी उसे उठा ले गए. उन्होंने मंदिर ध्वस्त कर दिए, मस्जिद अपवित्र कर दिए….. जो कुछ भी उन्हें मिलता सब एक जगह जमा करते, जहाँ उनके नेता हर हरकत पर निगरानी रखते. यहाँ से हर चीज़ ट्रक में लाद कर उत्तर पश्चिम सीमान्त प्रान्त- नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में भेज देते. मुज़्ज़फ़्फ़राबाद और उसके आस पास के इलाके में एक भी मुस्लमान का घर इस कबाइली लूटपाट में बक्शा नहीं गया. इसके अलावा पाकिस्तानी सेना ने पुँछ, स्कर्दू, गिलगित और दोमेल में भी अशांति मचा दी.

साभार – जम्मूकश्मीर नाउ

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