स्वाधीनता का गौरव ग्रन्थ
भारत की स्वतन्त्रता का श्रेय उन कुछ साहसी लेखकों को भी है, जिन्होंने प्राणों की चिन्ता किये बिना सत्य इतिहास लिखा। ऐसे ही एक लेखक थे पण्डित सुन्दरलाल, जिनकी पुस्तक ‘भारत में अंग्रेजी राज’ ने सत्याग्रह या बम-गोली द्वारा अंग्रेजों से लड़ने वालों को सदा प्रेरणा दी।
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम को दबाने के बाद अंग्रेजों ने योजनाबद्ध रूप से हिन्दू और मुस्लिमों में मतभेद पैदा किया। ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के अन्तर्गत उन्होंने बंगाल का विभाजन कर दिया।
पंडित सुंदरलाल ने इस विद्वेष की जड़ तक पहुँचने के लिए प्रामाणिक दस्तावेजों तथा इतिहास का गहन अध्ययन किया। उनके सामने अनेक तथ्य खुलते चले गये। इसके बाद वे तीन साल तक क्रान्तिकारी बाबू नित्यानन्द चटर्जी के घर पर शान्त भाव से काम में लगे रहे। इसी साधना के फलस्वरूप 1,000 पृष्ठों का ‘भारत में अंग्रेजी राज’ नामक ग्रन्थ तैयार हुआ।
इसकी विशेषता यह थी कि इसे सुंदरलाल जी ने स्वयं नहीं लिखा। वे बोलते थे और प्रयाग के श्री विशम्भर पांडे इसे लिखते थे। इस तरह इसकी पांडुलिपि तैयार हुई और यह पुस्तक पाठकों को मिल पाई।