पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र में संगठित व योजनाबद्ध रूप से कार्य करेगा संघ – भय्याजी जोशी

निश्चित प्रारूप में और निश्चित स्थान पर ही बनेगा राम मंदिर

ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने ग्वालियर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा के अंतिम दिन प्रेस वार्ता में कहा कि बैठक में संघ कार्य की समीक्षा और समसामयिक विषयों पर चिंतन किया गया। संघ ने इस बार पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्य करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सामाजिक समरसता पर और अधिक प्रभावी रूप से कार्य करने का आग्रह स्वयंसेवकों से किया है। उन्होंने कहा कि संघ कार्य एक मोड़ पर पहुंच चुका है, अब कार्य विस्तार की दृष्टि से एक बड़ी छलांग लेने की आवश्यकता है।

भय्याजी ने बताया कि प्रतिनिधि सभा की बैठक में शबरीमला मंदिर प्रकरण को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही श्री गुरू नानकदेव जी के 550वें प्रकाश पर्व और जलियांवाला बाग के प्रेरणादायी बलिदान की शताब्दी पर वक्तव्य जारी किया है।

उन्होंने कहा कि संघ ने इस बार एक नया विषय हाथ में लिया है। आज विश्व के समक्ष पर्यावरण प्रदूषण विकट समस्या के रूप में उपस्थित है। संघ पर्यावरण संरक्षण हेतु देशभर में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कार्य करेगा। इसमें जलसंवर्धन, वृक्षारोपण और प्लास्टिक –थर्मोकोल मुक्त पर्यावरण के प्रयास में समाज को साथ लेकर कार्य करेगा। वैसे तो संघ के स्वयंसेवक अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में शामिल हैं और समाज में जागृति भी आ रही है। लेकिन अब संघ संगठित व योजनाबद्ध रूप से कार्य करेगा।

राम मंदिर पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में सरकार्यवाह जी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण को लेकर हमारी भूमिका निश्चित है। अयोध्या में राम मंदिर बनेगा, निश्चित स्थान पर बनेगा और निर्धारित प्रारूप में ही बनेगा। मंदिर बनने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। न्यायालय द्वारा मध्यस्थता समिति के गठन को लेकर कहा कि संघ ऐसे किसी भी प्रयास का स्वागत करता है। न्यायालय और सरकार से संघ की अपेक्षा है कि मंदिर निर्माण की बाधाओं को शीघ्रातिशीघ्र दूर किया जाए। ऐसी अपेक्षा है कि समिति के सदस्य हिन्दू भावनाओं को समझकर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि सत्ता संचालन में बैठे लोगों का राम मंदिर को लेकर विरोध नहीं है, और उनकी प्रतिबद्धता को लेकर भी कोई शंका नहीं है।

पुलवामा हमले के पश्चात आतंकी शिविरों पर एयर स्ट्राइक को उन्होंने सरकार व वायु सेना का सराहनीय कदम बताया। उन्होंने कहा कि पुरुषार्थी और साहसी देश इसी भाषा में आतंकियों को जवाब देते हैं। धारा 370 से संबंधित प्रश्न पर कहा कि अभी 35ए को लेकर मामला न्यायालय में विचाराधीन है। अपेक्षा है कि सरकार अधिक प्रखरता के साथ न्यायालय में पक्ष रखेगी, और इस पर निर्णय आने के बाद धारा 370 पर कोई निर्णय होगा।

चुनाव में संघ की भूमिका से संबंधित प्रश्न पर भय्याजी ने कहा कि संघ की भूमिका स्पष्ट है। लोकतंत्र में मतदान के प्रति जागरूकता लाना तथा 100 प्रतिशत मतदान के लिए हम प्रयास करेंगे। पिछले वर्षों में समाज की सूझबूझ बढ़ी है, और जागृत समाज देशहित में मतदान करेगा। आज सामान्य समाज ये सोचने की स्थित में आ गया है कि देशहित में कौन काम करेगा।

जल्लीकट्टू, शबरीमला, दीपावली, हिन्दू परंपराओं को लेकर न्यायालयों के निर्णयों से संबंधित प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि समाज जीवन संविधान के साथ-साथ परंपरा, संस्कृति और मान्यताओं से चलता है। इस प्रकार के मामलों में समाज के प्रबुद्धजनों का मार्गदर्शन लेना चाहिए। कानून के तहत निर्णय देना एक अलग बात है, और समाज में उसकी स्वीकार्यता होना एक अलग बात है। समाज हित में जीवन मूल्यों और संस्कृति के प्रकाश में ऐसे मामलों का समाधान होना चाहिए।

प्रस्ताव – हिन्दू समाज की परम्पराओं व आस्थाओं के रक्षण की आवश्यकता

प्रतिनिधि सभा में शबरीमला मंदिर प्रकरण को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। कुछ अभारतीय शक्तियां हिन्दू आस्था और परम्पराओं को आहत एवं इनका अनादर करने के लिए योजनाबद्ध षड्यंत्र चला रही हैं। शबरीमला मंदिर प्रकरण इसी षड्यंत्र का नवीनतम उदाहरण है। शबरीमला मंदिर प्रकरण में सीपीएम अपने क्षुद्र राजनैतिक लाभ एवं हिन्दू समाज के विरुद्ध वैचारिक युद्ध का एक अन्य मोर्चा खोला है। केरल की मार्क्सवादी सरकार के कार्यकलापों ने अय्यप्पा भक्तों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। नास्तिक, अतिवादी वामपंथी महिला कार्यकर्ताओं को पीछे के दरवाजे से मंदिर में प्रवेश करवाकर भक्तों की भावनाओं को आहत किया है।

वक्तव्य -1 – जलियांवाला बाग के प्रेरणादायी बलिदान की शताब्दी

जलियाँवाला बाग हत्याकांड क्रूर, वीभत्स तथा उत्तेजनापूर्ण घटना थी, जिसने न केवल भारत के जनमानस को उद्वेलित, तथा आंदोलित किया, बल्कि ब्रिटिश शासन की नींव भी हिला दी। इसलिए हम सबका कर्तव्य है कि बलिदान की यह अमरगाथा देश के हर कोने तक पहुँचे। सम्पूर्ण समाज से यह आह्वान है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर अधिकाधिक कार्यक्रमों का आयोजन करें।

वक्तव्य – 2 – श्री गुरू नानकदेव जी का 550वां प्रकाश पर्व

श्री गुरु नानकदेव जी महाराज ने सत्य-ज्ञान, भक्ति एवं कर्म का मार्ग दिखाकर अध्यात्म के युगानुकूल आचरण से समाज के उत्थान व आत्मोद्धार का मार्ग प्रशस्त किया। जिस कारण भ्रमित भारतीय समाज को एकात्मता एवं नवचैतन्य प्राप्त हुआ। श्री गुरु नानकदेव जी के सन्देश आज भी प्रासंगिक हैं। हम उनका अपने जीवन में अनुसरण करें तथा सभी और फैलाएं।

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