सरकार्यवाह सुरेश (भय्या जी) जोशी का वक्तव्य

युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है आजाद हिन्द सरकार का इतिहास

21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा निर्वासन में आज़ाद हिन्द सरकार का गठन किया  था. जिसके 75 वर्ष  पूर्ण हुए हैं.  भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति में इस घटना का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा आज़ाद हिन्द सेना का नेतृत्व सम्हालने के पश्चात उसे ब्रिटिशों के विरुद्ध युद्ध में उतारने के पूर्व सिंगापुर में विधिवत सरकार का गठन करना. अंतर्राष्ट्रीय कानून की दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम था.  थोड़े ही समय में आज़ाद हिन्द सेना की संख्या में लक्षणीय वृद्धि एवं भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में ब्रिटिशों के विरुद्ध सैनिकी अभियान में सफलताएँ तत्कालीन परिस्थितियों में महत्वपूर्ण उपलब्धि थीं. इस सरकार ने दक्षिण पूर्व एशिया में सम्पूर्ण ब्रिटिश उपनिवेश के सैन्य-असैन्य प्रतिष्ठानों सहित भविष्य में आज़ाद हिन्द सेना द्वारा जीते जाने वाले क्षेत्रों पर अपने क्षेत्राधिकार की अधिसूचना जारी की थी.

आज़ाद हिन्द सरकार ने अपनी मुद्राएं न्यायालय एवं नागरिक संहिता निर्गमित की थी. इस सरकार  ने अपनी कर व्यवस्था भी स्थापित की थी.  एक वैध सरकार के समस्त लक्षण व समस्त अंग इस सरकार  के पास थे, जिनमें मंत्रिमंडल, विधान, सेना, मुद्रा, न्यायपालिका तथा जापान व जर्मनी सहित 9 देशों की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता सम्मिलित थी.  दिसम्बर 1943 में  जापान की नौसेना द्वारा जीते गए अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह इस सरकार को सौंप दिए गए थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इन द्वीप समूहों के नाम शहीद, व स्वराज रखकर तथा वहाँ 30 दिसम्बर 1943 को राष्ट्रध्वज फहराकर अपना स्वतंत्र क्षेत्राधिकार घोषित किया था. इनके कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक विधिसम्मत सरकार के रूप में  सुपुष्ट आधार प्राप्त हुआ था. इन सारे कार्यों से अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिकों तथा आम जनता में देशभक्ति की लहर उठी जिससे स्वाधीनता संग्राम को एक निर्णायक मोड़ प्राप्त हुआ.

इस  ऐतिहासिक घटनाचक्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आज़ाद हिन्द सरकारए नेताजी सुभाष चंद्र बोस तथा आज़ाद हिन्द सेना के हजारों सैनिकों के योगदान का हम कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करते हैं.  उनके इस योगदान को सम्मानित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों किये गए प्रयास अभिनंदनीय हैं. इस प्रेरणादायी तथा गौरवशाली इतिहास को देश के सभी नागरिकों, विशेषकर  युवा पीढ़ी तक पहुँचाने हेतु विविध कार्यक्रमों की योजना करें यह सभी से आह्वान है.

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