वे पन्द्रह दिन – समापन, 15 अगस्त के बाद…

भारत तो स्वतंत्र हो गया. विभाजित होकर..!

परन्तु अब आगे क्या..?

दुर्भाग्य से गांधी जी ने मुस्लिम लीग के बारे में जो मासूम सपने पाल रखे थे, वे टूट कर चूर-चूर हो गए. गांधी जी को लगता था, कि ‘मुस्लिम लीग को पकिस्तान चाहिये, उन्हें वो मिल गया. अब वो क्यों किसी को तकलीफ देंगे..?’ पांच अगस्त को ‘वाह’ के शरणार्थी शिबिर में उन्होंने यह कहा था, कि मुस्लिम नेताओं ने उन्हें आश्वासन दिया है कि ‘हिन्दुओं को कुछ नहीं होगा’. पाकिस्तान की असेंबली में जिन्ना ने भी यही कहा था, कि ‘पाकिस्तान सभी धर्मों के लिए है.’

लेकिन ऐसा नहीं था. ऐसा हुआ भी नहीं. असली दंगे तो आजादी मिलने के बाद शुरू हुए. अगस्त का अंतिम सप्ताह, सितंबर और अक्तूबर, 1947 में जबरदस्त दंगे हुए. 17 अगस्त को रेड्क्लिफ द्वारा विभाजन की रेखा घोषित की गयी. इसके बाद भयानक रक्तपात हुआ. लाखों लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा. अपने लोगों से बिछुड़ना पड़ा.

विभाजन की इस त्रासदी में लगभग दस लाख लोग मारे गए. डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए.

इस स्वतंत्रता से हमने क्या पाया..?

ढाका की देवी ढाकेश्वरी, अब हमारी नहीं रही. बारीसाल के कालि मंदिर में दर्शन करना और दुर्गा सरोवर में नहाना, हमारे लिए दूभर हो गया. सिख पंथ के संस्थापक गुरुदेव नानक साहब की जन्मस्थली, ननकाना साहिब, अब हमारे देश का हिस्सा नहीं रही. पवित्र गुरुद्वारा पंजा साहिब हमसे दूर हो गया. मां हिंगलाज देवी के दर्शन हमारे लिए दूभर हो गए.

क्या पाप किया था हमने, कि हमें हमारा ही देश पराया हो गया..?

‘पंजाब बाउंड्री फोर्स’ का मुख्यालय तो स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर ही, लाहौर में जला दिया गया. अक्तूबर में ‘गिलगिट स्काउट’ के मुस्लिम सिपाहियों ने विद्रोह किया और पूरे गिलगिट–बाल्टिस्तान पर कब्जा कर लिया. अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े में, पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों के रूप में कश्मीर का कुछ हिस्सा हथिया लिया. अंततः 27 अक्तूबर को, महाराजा हरिसिंह ने काश्मीर के विलय-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए. 1948 के मार्च में पाकिस्तान ने पूरे कलात के क्षेत्र पर, अर्थात् बलूचिस्तान पर, बलात रूप से कब्जा कर लिया.

11 सितंबर, 1948 को कायदे-आजम जिन्ना का इंतकाल हुआ, और इसके ठीक एक सप्ताह के अंदर, अर्थात् 17 सितंबर, 1948 को, विशालकाय हैदराबाद रियासत को सैनिक कार्रवाई करके, भारत में शामिल करवा लिया गया….

30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की ह्त्या हो गई थी, इसके पहले भी उन्हें मारने के एक/दो प्रयास हुए थे. 21 जून, 1948 को लार्ड माउंटबेटन, भारत छोड़कर इंग्लैड वापस चले गए.

उन पन्द्रह दिनों के प्रत्येक चरित्र का, प्रत्येक पात्र का भविष्य भिन्न था..!

उन पन्द्रह दिनों ने हमें बहुत कुछ सिखाया….

माउंटबेटन के कहने पर, स्वतंत्र भारत में, यूनियन जैक फहराने के लिए तैयार नेहरु हमने देखे. ‘लाहौर अगर मर रहा है, तो आप भी उसके साथ मौत का सामना करो..’ऐसा जब गांधी जी लाहौर में कह रहे थे, तब, ‘राजा दाहिर की प्रेरणा जगाकर, हिम्मत के साथ, संगठित होकर जीने का सूत्र’, उनसे मात्र 800 मील की दूरी पर, उसी दिन, उसी समय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख, ‘गुरूजी’, हैदराबाद (सिंध) से बता रहे थे.

कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी, सुचेता कृपलानी कराची में सिन्धी महिलाओं को बता रही थीं, कि ‘आपके मेकअप के कारण, लो कट ब्लाउज के कारण, मुस्लिम गुंडे आपको छेड़ते हैं’. तब कराची में ही, राष्ट्र सेविका समिति की मौसी जी, हिन्दू महिलाओं को संस्कारित रहकर, बलशाली, सामर्थ्यशाली बनने का सूत्र बता रही थीं..! जहां कांग्रेस के हिन्दू कार्यकर्ता, पंजाब, सिंध छोड़कर हिन्दुस्थान भागने में लगे थे, और मुस्लिम कार्यकर्ता, मुस्लिम लीग के साथ मिल गए थे, वहीं संघ के स्वयंसेवक डट कर, जान की बाजी लगाकर, हिन्दू – सिखों की रक्षा कर रहे थे. उन्हें सुरक्षित हिन्दुस्थान में पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे.

फरक था. बहुत फरक था. कार्यशैली में, सोच में, विचारों में… सभी में.

लेकिन, स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ पर क्या चित्र था..?

हिन्दू – सिखों को बचाने वाले स्वयंसेवक जेल के अंदर थे. उन पर झूठा आरोप लगाया गया था, गांधी ह्त्या का..! देश को एक रखने, अखंड भारत बनाए रखने के लिए, अपनी सीमित ताकत के साथ, पूरा जोर लगाने वाले, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ पर प्रतिबंध लगा था. स्वयंसेवकों की हिम्मत बढ़ाने वाले, बलशाली राष्ट्र की कल्पना करने वाले, संघ के सरसंघचालक गुरुजी भी जेल में थे. ‘अपना देश सैनिक शक्ति से संपन्न होना चाहिए’, ऐसा आग्रह रखने वाले, क्रांतिकारियों के मुकुटमणि, वीर सावरकर भी जेल में थे….

और सत्ता किसके पास थी..? अपनी जिद के कारण, नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस गंवाने वाले, अभी भी ब्रिटिश सत्ता के सामने झुकने वाले, अंग्रेजी रीति रिवाजों में पूर्णतः पले-बढ़े, रचे-बसे नेहरु के पास…!

उन पन्द्रह दिनों ने हमें यह स्पष्ट कर दिया, कि हम हमारे देश का नेतृत्व किसके हाथों में सौंप रहे थे…!

उन ‘पन्द्रह दिनों’ की यह गाथा यहीं समाप्त..!

 

सन्दर्भ –

अंग्रेजी –

Partition – Barney White-Spunner

An Era of Darkness – Shashi Tharoor

The Punjab: Bloodied, Partitioned and Cleansed – Dr.Ishtiq Ahmed

The Aftermath of Partition in South Asia – GyaneshKudaisya and Tan Tai Young

The Hindu Civilization : A Miracle of History – ShashibhushanSahani

Pakistan : Counting the Abyss – Tilak Devashree

Gandhiji’s Moral Politics – Naren Nanda

A Life in Shadow (Secret Story of ACN Nambiar) – Vappala Balachandran

Partition and Independence of India – Manmath Nath Das

Remembering Partition : Violence, Nationalism and History in India – Gyanendra Pandey

Bahuroope Gandhi – Ann Bandopadhyay

Mahatma : Life of M. K. Gandhi (Volume 8) – D. G. Tendulkar

Join Indian Union Movement in Warangal District (1946 – 48) – Dr. M. Brahmaih

The Politics of Punjab Boundry Award – Pervaiz Iqbal Cheema

The Partition of Bengal and Assam (1932 – 1947) – Bidyut Chakrabarty

Now It Can Be Told – A. N. Bali

Midnight Furies : The Deadly Legacy of India’s Partition – NisidHajari

The Longest August – Dilip Hiro

Freedom at Midnight – Dominique Lapierre and Larry Collins

Pangs of Partition : Lahore in 1947 – Sukhdev Singh Sohal

Fifty Years of Modern India – Vidya Dhar Mahajan

Abdul GaffarKhan : Faith is a Battle – D. G. Tendulkar

Jinna – StenaliVolapart

RSS in Sindh : (1942 – 48) –Rita Kothari (Economic and Political Weekly. July 8-21, 2006

1947 Archives – Guneeta Singh Bhalla

Veer Savarkar : Thought and Action – Jyoti Trehan

Mountbatten’s Response to the Communal Riots in Punjab. 20th March to 15thAugust : An Overview – Muhammad Iqbal Chawala

Did Sikh Squad Participate in an Organized Attack to Cleanse East Punjab During Partition ? – NisidHajari / Caravan / 30th June, 2015

Why Wasn’t Sindh Partitioned in 1947..? – South Asia Blog

The Unfolding Crisis in Punjab : March – August 1947 – V. Sundaram (Retd IAS)

Constituent Assembly of Pakistan – http://www.na.gov.pk/uploads/documents/1434523779_849.pdf

Letter Correspondence of Jawaharlal Nehru -https://archive.org/stream/HindSwaraj-Nehru-SW2-03/nehru.sw2.vol.s03_djvu.txt

Redcliff Line – Kuldip Nayar (The Tribune / September 24, 2006)

Various issues of ‘Indian Daily Mail’ newspaper.

Various issues of Hidustan Times and Times of India

 

हिंदी –

विभाजन : भारत और पकिस्तान का उदय–यास्मीन खान

क्या देश का विभाजन अनिवार्य ही था..?–भवानीप्रसादचट्टोपाध्याय

भारत का विभाजन – डॉ. भीमराव (बाबासाहेब) आंबेडकर

चक्र से चरखे तक –दिनकर जोशी

मुस्लिम मन का आईना –राजमोहन गांधी

बोसबंधू और भारतीय स्वतंत्रता : एक करीबी का विवरण – माधुरी बोस

खोज गांधी की – वर्ष १, अंक ३, सितंबर २०११

विनायक दामोदर सावरकर–राघवेन्द्रतंवर

और देश बंट गया – हो. वे. शेषाद्री

मराठी

१९४७ – वि. स. वाळिंबे

आणि भारतमाता खंडित झाली – श्री. म. जोशी

फाळणी : युगान्तापूर्वीचा काळोख – वि. ग. कानिटकर

दंभस्फोट– डॉ. ना. भा. खरे

तेजाची आरती – हरी विनायक दात्ये

अकोला करार – http://thinkmaharashtra.com/node/561

प्रशांत पोळ

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