अध्यात्म के बिना भौतिक ज्ञान भी मार्ग से भटक जाएगा – डॉ. मोहन भागवत जी

विसंके जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भारत एक है और अब वो जाग रहा है। भारत उठेगा और अपना स्थान हासिल करेगा, ऐसी आशाएं पल्लवित हो रही है।ज्ञान निधि प्रकट करने का समय आ गया है। हमें अपने आप को पहचानना होगा। वेद हमारी पहचान तो हैं, लेकिन उसे एक बार फिर लोगों के लिए आधुनिक युग के हिसाब से समझाना होगा। परमाणु क्षेत्र में हुए खोज का श्रेय भी वैज्ञानिक वेदों को ही देते रहे है। वेदों में भौतिक ज्ञान भी है। इसलिए समय के साथ इसे समझा जा सकता है। सिर्फ जरूरत है, हमें हाथ आगे बढ़ाने की। वेदों को ऐसा भाषाओं में लाना होगा, जिसे दुनिया आसानी से समझ सके और लाभ उठाए। वेदों का संरक्षण करने वालों की मदद के लिये लोगों को आगे आना चाहिये, जो जितनी मदद कर सकता है उसे पूरी क्षमता से करनी चाहिये। सरसंघचालक जी प्रथम भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार–2017 वितरण के दौरान संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर में विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल जी की स्मृति में आयोजित किया गया।

सरसंघचालक जी ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म एक साथ हो सकते हैं और ये बात बहुत से लोग मानते भी है। अध्यात्म के बिना भौतिक ज्ञान का कोई उपयोग नहीं है, वह मार्ग से भटक जाएगा। विज्ञान और अध्यात्म में संगम होना चाहिये। हमें पूर्व संचित वेदों के ज्ञान को एक बार फिर से प्राप्त करने की आवश्यकता है और यही समय की जरूरत भी। वेदों के तथ्य वर्तमान युगानुसार समाज के सामने रखे। वेद सनातन हैं और ऋषियों का मंथन है। समझाने में हो सकता है समय लगे, लेकिन हमें प्रयास आज से शुरू करना होगा। जनमानस में वेदों की एक बार फिर स्थापना हो और जनमानस वेदानुसार हो, ऐसा प्रयास निरंतर करना होगा।

पहले भारतात्मा अशोक जी सिंघल वैदिक पुरस्कार वितरण समारोह में प्रथम पुरस्कार पाने वाले छात्र को तीन लाख रुपये, शिक्षक को पांच लाख रुपये और स्कूल को सात लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की गई। सभी विजेताओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने सम्मानित किया।

प्रथम भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार – 2017

प्रथम भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार – 2017

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पुरस्कार विजेताओं के नाम श्रेणी अनुसार –

उत्कृष्ट वैदिक छात्र पुरस्कार – सागर शर्मा जी, शुक्ल यजुर्वेद माध्यन्दिन शाखा विद्यालय, बीड़, नागपुर

आदर्श वेदाध्यापक पुरस्कार – वी. राजगोपाल घनपाठी जी, चैन्नई

सर्वश्रेष्ठ वेद विद्यालय – समर्थ वेदविद्यालय, ढालेगांव

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