कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं सृष्टि

जयपुर (विसंके)। महिलाओं की आवाज बुलंद करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। सृष्टि बख्शी उनमें से एक हैं जो महिलाओं की आवाज उठा रही हैं। कन्याकुमारी से कश्मीर की पैदल यात्रा पर निकली सृष्टि बख्शी समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं। सृष्टि बताती हैं कि यह यात्रा नारी सशक्तीकरण का संदेश दे रही है। शिक्षा और सुरक्षा दो बड़े पहलू हैं, जिन पर जनजागृति लाने का यह एक छोटा सा प्रयास है।

सृष्टि बख्शी

सृष्टि बख्शी

मैं भी आराम से अपना जीवन जी रही थी। शादी के बाद पति के साथ हांगकांग में अच्छी खासी नौकरी कर रही थी। कहीं किसी कंपनी की सीईओ बनने का सपना लेकर ही जीवन में बढ़ रही थी। आर्मी अफसर की बेटी होने के नाते विदेश में रहते हुए भी अपने देश से प्यार और लगाव कुछ ज्यादा ही रहा। दो साल पहले ग्रेटर नोएडा के पास एक मां-बेटी के साथ उनके अपनों के सामने ही दुष्कर्म की घटना के बारे में सुना। इस घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया। पता चला कि भारत में ऐसी सैंकड़ों घटनाएं आए दिन होती हैं। इसके बाद मैंने तय किया कि कुछ करना चाहिए जिससे समाज में जागृति आए। हांगकांग में नौकरी छोड़कर भारत आई यहां पैदल यात्रा की योजना बनाई। खुद की फिटनेस पर ध्यान दिया। वेट लिफ्टिंग की।

एक साल की तैयारी के बाद 15 सितंबर 2017 से 3800 किलोमीटर की 262 दिन में पूरी होने वाली यात्रा शुरू की। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू यात्रा में अब तक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को पैदल पार कर चुकी हूं और दिल्ली पहुंची हूं। सृष्टि कहती हैं, मैं हर दिन 30 किलोमीटर पैदल चलती हूं। यह सिर्फ कदमों को गिन लेने की या किलोमीटर पूरे कर लेने की यात्रा नहीं है। इसमें मैं बीच में लोगों से मिलती हूं। महिलाओं से, सरकारी स्कूलों में बच्चियों से, युवाओं से मिलती हूं। मैंने यह यात्रा अकेले शुरू की थी लेकिन लोगों के सकारात्मक जुड़ाव और स्नेह से अब इसका विस्तार होता जा रहा है। अब तक इस यात्रा में 25 हजार लोगों से मिल चुकी हूं। महिलाओं को आत्मविश्वास के साथ जीने का संदेश देती हूं।

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