जयपुर। 27 दिसम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह—सरकार्यवाह श्री वी.भागैया जी ने कहा कि खेलों से मानवता का विकास होता है और मानवता के विकास से भ्रष्टाचार का नाश होता है। स्वदेशी खेलों से क्षमता बढती है, साथ ही एकाग्रता आती है। शरीर, मन, बुद्धि व आत्मिक विकास खेलों से सम्भव है। खेल मात्र पुरस्कार प्राप्ति के लिए नहीं खेलने चाहिए। खेल तो नर से नारायण तक के लिए है। श्री भागैया जी 27 दिसम्बर को जयपुर स्थित चौगान स्टेडियम में क्रीडा भारती के ‘राष्ट्रीय खेल संगम’ के स मापन कार्यक्रम में बोल रहे थे।
श्री भागैया ने कहा की भारतीय खेलों से कम समय में अधिक व्यायाम होता है। कबड्डी, खो-खो जैसे स्वदेशी खेल भारत को ओलम्पीक में सम्मान दिला सकते है। उन्होनें कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि क्रीडा भारती और सरकार अपने—अपने स्तर पर देशी खेलों को आगे बढाने में प्रयास कर रही है किन्तु हमें भी आगे आना होगा।
खेल से शरीर व मन स्वस्थ—केन्द्रीय मंत्री श्री राठौड.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद और केन्द्रीय मंत्री श्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड ने कहा की खेलों के द्वारा शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते है। उन्होनें कहा की अगले ओलम्पीक में शतक का हमारा लक्ष्य है। सरकार इसका प्रयास कर रही है कि खिलाडियों को सुविधाओं का अभाव न रहे व उन्हें समय पर उचित संसाधन उपलब्ध हो सके। क्रीडा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चेतन चैहान ने क्रीडा भारती के कार्यों तथा त्रिदिवसीय राष्ट्रीय खेल संगम की जानकारी प्रदान की। संघ के जयपुर प्रांत प्रचारक श्री शिवलहरी, क्रीडा भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नारायण सिंह राणा, क्रीडा भारती के प्रदेषाध्यक्ष श्री गोपाल सैनी आदि आदि भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
भारतीय खेलों का अद्भुत प्रदर्शन
राष्ट्रीय खेल संगम के समापन पर चौगन स्टेडियम में भारतीय खेलों का अद्भुत प्रदर्शन हुआ जिसमें मणिपुर के खिलाडियों द्वारा तलवार बाजी (थांगता), बंगाल द्वारा संगीतमय योगासन, तमिलनाडु द्वारा मार्शल आर्ट, झारण्खंड द्वारा दण्ड (लाठी), उत्तर प्रदेश के खिलाडियों द्वारा रस्सा मलखम्ब का प्रदर्षन किया गया , साथ ही सभी खिलाडियों ने सामूहिक सूर्य नमस्कार किये।