जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतिपोरा इलाके में आतंकवादियों द्वारा गुरुवार को सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाते हुए हमला किया गया जिसमे कम से कम 44 जवान शहीद हो गए यह आतंकवादी घटना पुलवामा से 20 किलोमीटर दूर हुई. घटना में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक इतना शक्तिशाली था कि उसकी आवाज 10-12 किलोमीटर दूर, यहां तक कि पुलवामा से जुड़े श्रीनगर के कुछ इलाकों तक भी सुनाई दी. स्थानीय निवासियों ने बताया कि घटना में शहीद हुए जवानों के क्षत-विक्षत शव जम्मू कश्मीर राजमार्ग में बिखर गए. कुछ शवों की हालत तो इतनी खराब है कि उनकी शिनाख्त में काफी वक्त भी लग सकता है. विस्फोट की आवाज सुनाई देते ही लोग यहां वहां भागने लगे. घटनास्थल से 300 मीटर से भी कम दूरी पर स्थित लेथपुर बाजार के दुकानवाले अपनी अपनी दुकानों के शटर गिरा कर भाग गए.
इस हमले में शहीद हुए जवानों में राजस्थान के 5 जवान भी शामिल हैं :
रोहिताश: जयपुर की शाहपुरा पंचायत समिति के गांव गोविंदपुरा बांसड़ी के रहने वाले रोहिताश शहीद हो गए हैं. बीते हफ्ते ही गांव आए थे. उनके दो महीने का बेटा है जिसका दशोठन का कार्यक्रम था. शहीद रोहिताश के पिता बाबूलाल पेशे से किसान हैं और एक छोटा भाई है. रोहिताश साल 2013 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. रोहिताश की शहादत की खबर आते ही पूरे गांव में मातम छा गया है. वहीं शुरू में रोहिताश के शहादत की सूचना घर की महिलाओं को नहीं दी गई थी.
भागीरथ कंषाना: राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के जैतपुर गांव निवासी भागीरथ कंषाना सीआरपीएफ की 45 वीं बटालियन में तैनात थे. गुरुवार को हुए आतंकी हमले में वे शहीद हो गए. भागीरथ के दो बच्चे हैं. इसमें एक बेटा और एक बेटी है. भागीरथ 17 जनवरी को छुट्टी पर गॉंव आए थे और 11 फरवरी को छुट्टी समाप्त होने पर ड्यूटी पर चले गए थे. 4 वर्ष पूर्व ही उनकी शादी हुई थी. वह 2013 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. बचपन में ही उनकी मां का देहांत हो गया था.
हेमराज मीणा: कोटा जिले के सांगोद के विनोद कलां गांव के हेमराज मीणा हमले में शहीद हुए हैं. साल 2001 में हेमराज सीआरपीएफ की 61वीं बटालियन में भर्ती हुए थे. शहीद हेमराज मीणा के परिजन घटना को लेकर काफी गुस्से में हैं. उनकी मांग है कि सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाकर आतंकवादियों का सफाया करे. हेमराज का 6 वर्षीय बेटा ऋषभ भी बड़ा होकर पुलिस या आर्मी में भर्ती होकर आतंकवादियों का सफाया करने की बात कह रहा है. वहीं बड़ी बेटी रीना ने रोते हुए देश की राजनीति पर सवाल खड़े किए हैं. रीना का कहना है कि अब सभी नेता औऱ जिम्मेदार लोग आएंगे औऱ बड़ी-बड़ी बातें करेंगे लेकिन आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए कोई कदम नही उठाएंगे. हेमराज के पिता हरदयाल मीणा भी नाराज हैं. हेमराज के शहीद होते ही 4 बच्चों से पिता का साया उठ गया. हेमराज के परिवार के लोग खेती किसानी करते हैं.
जीतराम गुर्जर: भरतपुर के गांव सुंदरावली निवासी सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन के जवान 30 वर्षीय जीतराम गुर्जर भी पुलवामा हमले में शहीद हो गए. जीतराम कुछ दिन पहले ही अपने घर आए थे और 12 फरवरी को ही अपनी छुट्टी बिताकर कश्मीर गए थे. शहीद के घर में उनकी पत्नी सुंदरी देवी, दो मासूम बच्चियां, पिता राधेश्याम गुर्जर, भाई विक्रम सिंह, माँ गोपा देवी हैं. शहीद का भाई विक्रम सिंह भी सेना या सीआरपीएफ में भर्ती होना चाहता है. जीतराम ने 2010 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी. उनकी शादी 5 साल पहले हुई थी. जीतराम गुर्जर अपने घर में अकेले कमाने वाले थे. गांव के सरपंच देवहरी सिंह, चाचा पूरन सिंह और ग्रामीण मोरध्वज सिंह ने बताया की जीतराम अभी गांव से छुट्टी काटकर अपनी ड्यूटी पर गए थे. वह काफी मिलनसार व्यक्ति थे. वे युवाओं को आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा के लिए प्रेरित करते थे. आज उनसे जुड़ीं बातें याद कर गांव के लोगों के आंसू नहीं सूख रहे हैं.
नारायण गुर्जर: राजसमंद के बिनोल गांव के निवासी थे नारायण गुर्जर. 12 फरवरी को ही वह ड्यूटी पर लौटे थे. पुलवामा आतंकी हमले में उनकी शहादत की खबर सुनते ही पूरा गांव गमगीन हो गया. पत्नी और बच्चे अपने आप को संभाल नहीं पा रहे हैं. उनकी बड़ी पुत्री हेमलता गुर्जर कक्षा 9 में और छोटा बेटा मुकेश कक्षा 8 में अध्ययनरत हैं. परिवार में पत्नी और बच्चों के अलावा एक भाई गोवर्धन लाल व बहन संतोष देवी हैं.