जीडीपी में महिलाओं के योगदान के उचित मूल्यांकन की आवश्यकता है – निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में महिलाओं के योगदान का उचित मूल्यांकन नहीं हो पाता. इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने विश्व के सबसे बड़े महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति और अन्य महिला संगठनों का आह्वान किया कि वो इस विषय में विचार करें और महिलाओं के योगदान को बेहतर तरीके से परिलक्षित करने के लिए किसी फार्मूले की तलाश करें. वित्त मंत्री ‘बजट 2019–2020 महिलाओं के सरोकार’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रही थीं. परिचर्चा के इस कार्यक्रम का आयोजन मेधाविनी सिंधु सृजन ने किया था, जो राष्ट्र सेविका समिति, दिल्ली प्रांत का प्रबुद्ध वर्ग है.

बजट 2019-20 पर चर्चा करते हुए सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया था कि बजट ऐसा होना चाहिए जिसमें सबके लिए कुछ न कुछ हो और जिससे आमजन सहजता से जुड़ सकें. इस बार के बजट का मुख्य लक्ष्य था, आमजन के रहन-सहन में सहजता यानि इज ऑफ लिविंग. उन्होंने बजट में महिला संबंधी योजनाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि इस बजट में सभी वर्गों की महिलाओं के लिए कुछ न कुछ था.

उन्होंने मुद्रा योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ीं हालांकि ये सभी के लिए थी. इसमें महिलाओं के जुड़ने की खास वजह ये थी कि इसके लिए किसी सिक्योरिटी की आवश्यकता नहीं थी और न ही इसके लिए उन्हें घर के किसी पुरूष सदस्य की आवश्यकता थी.

उन्होंने कहा कि देश के उद्यमियों और वेल्थ क्रिएटर्स का सम्मान करती हैं क्योंकि वे संपदा बढ़ाने के साथ ही लोगों को रोजगार भी देते हैं. इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं कि कर विभाग फेसीलिटेटर बने, न कि प्रशासक राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनीला सोवनी ने कहा कि महिलाओं और वृद्धों की सुरक्षा का जो काम पहले परिवार करता था, धीरे-धीरे अब सरकार का दायित्व बनता जा रहा है, जबकि उसके पास इतने संसाधन नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जो योजना महिलाओं के लिए बनाती है, वह अतंतः पूरे परिवार के काम आती है, इसलिए आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र में भी समग्रता से चिंतन होना चाहिए. आवश्यकता ये भी है कि आज कॉर्पोरेट जगत महिलाओं को सिर्फ स्त्री-पुरूष समानता की दृष्टि से ही न देखे, उसे परिवार की धुरी के तौर पर संवेदनशील तरीके से देखे.

राष्ट्रीय वित्त समावेशन समिति की अध्यक्ष बिंदु डालमिया ने बजट में महिलाओं की भागीदारी बेहतर करने के लिए सुझाव रखे. कॉर्पोरेट प्रोफेशनल प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि सरकारी योजनाओं के बारे में दूर-दराज के क्षेत्रों की महिलाओं में जागरूकता फैलाने की बहुत आवश्यकता है, जिससे गरीब महिलाएं भी इनका पूरा लाभ उठा सकें. शिक्षाविद् प्रीति गोयल ने कहा कि कर व्यवस्था को और सरल बनाने की आवश्यकता है और कर जमा करवाने वालों के लिए भी कुछ प्रोत्साहन होना चाहिए.

मेधाविनी सिंधु सृजन समिति की प्रबुद्ध महिलाओं का समूह है, जिसमें वकील, कलाकार, लेखक, पत्रकार आदि शामिल हैं. ये समय-समय पर राष्ट्रहित के विषयों पर सेमीनार और संगोष्ठी आदि आयोजित करता है और सेविकाओं को ज्वलंत विषयों की जानकारी और विश्लेषण उपलब्ध करवाता है.

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