जयपुर विसंकें। बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की 127 वीं जयन्ती पर चुरू जिले के सरदारशहर में सामाजिक समरसता मंच ने स्थानीय श्रीमती सुआ देवी टांटिया विद्यालय में सामाजिक सद्भाव एवं डॉ. अम्बेडकर विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम जी ने कहा कि बाबा साहब सदी के महामानव थे। वह किसी वर्ग विशेष के न होकर सभी वर्गो के महापुरूष है। डॉ. अम्बेडकर को भारत रत्न, युग पुरूष, महामानव, बाबा साहब जैसे अनेक अलंकरण उनके साथ जुडे है जो भी कम है।
उन्होनें कहा कि हमे कथनी करनी का भेद मिटाना होगा जिससे वास्तविक समरसता होगी, जो केवल बोलने से नहीं होगा। आपसी सद्भाव की प्राप्ती के लिए एक कुआं, एक श्मशान और एक मन्दिर के विचार को लागू करना होगा। कुछ लोग उनके द्वारा मनु स्मृति के विरोध को उनके हिन्दू विरोधी होने का दुष्प्रचार करते है। उन्हें मनु का विरोध नहीं किया था उसकी गलत बातो का विरोध किया था। उन्होनें अपने लिए नव मनु शब्द का उपयोग किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष सरदारशहर के उपखण्ड अधिकारी मूलचन्द लुणिया ने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति इतनी भीमकाय है की छोटी मोटी चीजो का उन पर असर नहीं पडता। लेकिन वर्तमान समय में समाजिक सद्भाव को बिगाडने वाले कार्य चिन्ता का विषय है। लुणिया ने कहा कि सामाजिक न्याय व समता के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन बाबा साहब की ही देन है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सत्यनारायण पुरोहित ने कहा कि भारतीय समाज अनेक जाति और वर्णो में बंटा हुआ है। जिसमें से कुछ जातियां प्राचीन काल से ही शोषण का शिकार रही है। लेकिन भारतीय लोकतंत्र में सभी को समानता का अधिकार मिला हुआ है जो डॉ. अम्बेडकर की ही देन है।
आभार प्रचार विभाग सरदारशहर