पहला वार जो करता है वही आखिरी वार करता है – मेजर जनरल जी.डी. बक्शी

jabalpur-3जयपुर (विसंके). मेजर जनरल (सेनि.) जीडी बक्शी ने कहा कि अपने जीवन को समर्पित कर पल-प्रति-पल मौत के साए में बैठे रहने वाले, अपने घर-परिवार से दूर नितांत निर्जन में कर्तव्य निर्वहन करने वाले जांबाज़ सैनिकों के लिए बस चंद शब्द, चंद वाक्य, चंद फूल, दो-चार मालाएँ, दो-चार दीप और फिर उनके बलिदान को विस्मृत कर देना, उन सैनिकों को विस्मृत कर देना है. आज समूचे परिदृश्य को राजनैतिक चश्मे से देखने की आदत के चलते, वातावरण में तुष्टिकरण का रंग भरने की कुप्रवृत्ति के चलते, प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ होने की मानसिकता के चलते समाज में सैनिकों के प्रति भी सम्मान का भाव धीरे-धीरे तिरोहित होता जा रहा है. आज आवश्यकता है – हमें अपने परिवार, समाज एवं गुरुकुलों में देश-प्रेम, सैनिकों के प्रति स्नेह एवं मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग एवं देश रक्षार्थ राष्ट्रवादी शिक्षा अपने बच्चों को दें.

हमारा इतिहास वीरों का इतिहास है जो सरस्वती नदी के किनारे विकसित हुआ. इस वीरतापूर्ण एवं वास्तविक इतिहास से हमारे बच्चों एवं अध्ययनरत छात्रों को अवगत कराने की आवश्यकता है. माताओं को चाहिए कि वे अपने पुत्रों को देश की रक्षा के लिए सेना में भेजें, और पुत्रियों को रानी दुर्गावती के समान स्वाभिमानी वीरांगना बनाएं. तभी इस देश का गौरव फिर खड़ा हो सकता है. आज हमारे देश को राष्ट्रभक्त नागरिकों की आवश्यकता है, जो देश और समाज के लिए मर मिटने को सदैव तैयार रहें. आज देश रक्षार्थ, रक्षात्मक नहीं आक्रामक रूख की आवश्यकता है क्योंकि पहला वार जो करता है, वही आखिरी वार करता है. जनरल जीडी बक्शी नरसिंह सभागार सरस्वती शिक्षा परिषद म.प्र. में उपस्थितजनों को संबोधित कर रहे थे.

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भारत द्वारा आतंकी शिविरों पर एयर स्ट्राईक के बाद देश में जहां एक ओर राष्ट्रवादी विचारों की चर्चा हो रही है, दूसरी ओर कुछ लोग इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे समय में देश के ख्यातिलब्ध रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल बक्शी ने लोगों से आग्रह किया कि वे देश में राष्ट्रभक्ति का सैलाब लाएं ताकि देश के विरूद्ध षडयंत्र करने वाले उस सैलाब में बह जाएँ. कम से कम हम नागरिक तो सैनिकों के सम्मान को कम न होने दें; हम उनके बलिदान पर राजनीति न होने दें, हम उन सैनिकों को गुमनामी में न खोने दें.

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