इंडियन आर्मी ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद को तबाह कर दिया. जिसमें जैश के 350 आतंकी एक साथ मारे गए. इन्हें आईएसआई ने भारतीय हमले से बचाने के लिए कैंप में छिपा रखा था. लेकिन मिराज 2000 के हमले में पूरा कैंप कुछ ही पल में समाप्त हो गया. इस हमले में न सिर्फ आत्मघाती हमलावरों की फौज एक झटके में 72 हूरों के पास पहुंच गई, बल्कि जैश के खास ट्रेनर भी मारे गए. सबसे अहम बात अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद के 5 मोस्ट वांटेड टॉप लीडर मारे गए, जो मसूद अजहर के बाद जैश-ए-मोहम्मद का पूरा आतंक का नेटवर्क संभालते थे. ये सभी मसूद अजहर के रिश्तेदार भी थे.
मौलाना अम्मार – जैश के आका मसूद अजहर का भाई, जो कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकी वारदातों से जुड़ा रहा है.
मौलाना तल्हा सैफ – मसूद अजहर का भाई और प्रचार विभाग का प्रमुख
मुफ्ती अजहर खान कश्मीरी – कश्मीर ऑपरेशन का प्रमुख
इब्राहीम अजहर – मौलाना मसूद अजहर का बड़ा भाई
यूसुफ अजहर – मसूद अजहर का साला और प्रशिक्षण केंद्र का प्रमुख
खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में कैंप का संचालन मसूद अजहर की निगरानी में मौलाना यूसुफ अजहर कर रहा था. उसका दूसरा नाम उस्ताद गौरी भी है, वो रिश्ते में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का साला है. वो काफी समय से जैश के साथ काम कर रहा था. लेकिन वो कभी लाइम लाइट में नहीं आता था. 1999 में कंधार विमान अपहरण में यूसुफ अजहर शामिल था. वो अपहरणकर्ताओं की टीम को लीड कर रहा था. मसूद को छुड़ाने के बाद वो जैश में भर्ती का काम देख रहा था. बाद में मसूद अजहर ने उसे संगठन में अहम जिम्मेदारी दी. उसे बालाकोट में मौजूद आतंकी ट्रेनिंग कैंप की जिम्मेदारी दी गई. यूसुफ मंगलवार को इंडियन एअर फोर्स के हमले में मारा गया.