भारतीय राजनीतिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य पं. दीनदयाल उपाध्याय

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधील राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधील राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

विसंके जयपुर। राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा जयपुर से लगभग 28 कि.मी. की दूरी पर धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण किया गया है। 4500 वर्गमीटर के क्षेत्र में इस स्मारक का निर्माण हुआ है। स्मारक में पं. दीनदयाल की 15 फीट ऊंची गनमेटल की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। स्मारक में उपाध्याय के जीवन के विभिन्न पहलुओं तथा उनके विचार के बारे में एवं भारतीय राजनीती में उनके योगदान को विभिन्न माध्यमों से  दर्शाने को प्रयास किया जायेगा।

धानक्या रेल्वे स्टेशन के पास पं दीनदयाल उपाध्याय निर्माणाधीन राष्ट्रीय स्मारक

वरिष्ठ चिंतक और जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से थे। दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1 9 16 को मथुरा जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय थाण् माता रामप्यारी धार्मिक वृत्ति की थीं। रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर ही बीतता था। कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे। थोड़े समय बाद ही दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया जिसका नाम शिवदयाल रखा गया। पिता भगवती प्रसाद ने बच्चों को ननिहाल भेज दिया।

उस समय उनके नाना चुन्नीलाल शुक्ल धानक्या में स्टेशन मास्टर थे। मामा का परिवार बहुत बड़ा था। दीनदयाल अपने ममेरे भाइयों के साथ खाते खेलते बड़े हुए।   3 वर्ष की मासूम उम्र में दीनदयाल पिता के प्यार से वंचित हो गये । पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें क्षय रोग लग गया, 8 अगस्त 1 9 24 को रामप्यारी बच्चों को अकेला छोड़ ईश्वर को प्यारी हो गयीं । 7 वर्ष की कोमल अवस्था में दीनदयाल माता-पिता के प्यार से वंचित हो गये ।

उपाध्याय जी ने पिलानी, आगरा तथा प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की । बी.एस.सी., बी.टी. करने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गये थे। अतरू कालेज छोड़ने के तुरन्त बाद वे उक्त संस्था के प्रचारक बन गये और एकनिष्ठ भाव से संघ का संगठन कार्य करने लगे । उपाध्यायजी नितान्त सरल और सौम्य स्वभाव के व्यक्ति थे । उपाध्यायजी ने राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और स्वदेश जैसी पत्र-पत्रिकाएँ प्रारम्भ की। सन 1 9 51 में अखिल भारतीय जनसंघ का निर्माण होने पर वे उसके संगठन मन्त्री बनाये गये । दो वर्ष बाद सन् 1 9 53 में उपाध्यायजी अखिल भारतीय जनसंघ के महामन्त्री निर्वाचित हुए और लगभग 15 वर्ष तक इस पद पर रहकर उन्होंने अपने दल की अमूल्य सेवा की।

कालीकट अधिवेशन (दिसम्बर 1 9 67) में वे अखिल भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए । 11 फरवरी 1 9 68 की रात में रेलयात्रा के दौरान मुगलसराय के आसपास उनकी हत्या कर दी गयी । विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अनगिनत गुणों के स्वामी भारतीय राजनीतिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य ने भारतवर्ष में समतामूलक राजनीतिक विचारधारा का प्रचार एवं प्रोत्साहन करते हुए सिर्फ 52 साल क उम्र में अपने प्राण राष्ट्र को समर्पित कर दिए । अनाकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी दीनदयालजी उच्च-कोटि के दार्शनिक थे किसी प्रकार का भौतिक माया-मोह उन्हें छू तक नहीं सका ।

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