मातृशक्ति अपनी संतान तथा समाज को देवत्व की ओर ले जाए – प्रमिला ताई

प्रबुद्ध भारत की संकल्पना विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

प्रबुद्ध भारत की संकल्पना विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

sevika-samiti-delhi-4 sevika-samiti-delhi-3

नई दिल्ली में प्रबुद्ध भारत की संकल्पना विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली में प्रबुद्ध भारत की संकल्पना विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

विसंके जयपुर। राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापिका लक्ष्मीबाई केलकर जी की 112 वीं जयंती के उपलक्ष्य में दीनदयाल शोध संस्थान नई दिल्ली में प्रबुद्ध भारत की संकल्पना विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व संचालिका प्रमिला ताई ने कहा कि वन्दनीय मौसी जी का जन्म दिवस हम संकल्प दिवस के रूप में मनाते हैं और इस वर्ष हम इसे समिति की बहनों द्वारा अपने परिवार तथा समाज को प्रबुद्ध करने के संकल्प के रूप में मना रहे है। सामाजिक-राजनीतिक प्रतिष्ठा, शिक्षा का स्तर तथा प्रकटीकरण के बोध का भान मातृशक्ति को हो, वं. लक्ष्मीबाई केलकर (मौसी जी) के इस स्वप्न को उनके जन्म दिवस के अवसर पर हमको संकल्प लेकर पूर्ण करना है।

समिति की सेविकाएं पहचानें कि मैं कौन हूं? हमें सबसे पहले अपनी शक्तियों को पहचान कर समाज हित में कार्य करना होगा, यही प्रबुद्धता का प्रमाण है। समाज में जो कुछ भी गलत हो रहा है, उसके विरुद्ध स्वयं उठकर प्रश्न करें, गलत के प्रति विरोध का स्वर हममें उठे यही प्रबुद्ध होना है। हर नारी मां की भांति सोच रखे तथा समाज के हित के लिए कार्य करे, तभी समाज भी जागरूक होगा। भगवान को जन्म देने वाली भी मां है, इसी विराट सत्य को जानकर समाज को देखें, हर तड़पन, दुख संकट को समझकर व्यवहार करें, तभी समाज प्रबुद्ध होगा। समिति की सेविकाएं माता के धर्म का पालन करें, और अपनी संतान तथा समाज को देवत्व की ओर ले जाएं। मैं भारत मां की कन्या हूं, यही सोच समिति को प्रबुद्ध बनाती है. लक्ष्मीबाई केलकर जी ने प्रत्येक भारतवासी को जाति, धर्म, भाषा, रंगरूप, संप्रदाय से ऊपर उठकर लोगों को जोड़ा तथा समाज को उदार बनाया।

कार्यक्रम की अध्यक्षा प्रोफेसर सुषमा यादव जी (राष्ट्रीय लोक प्रशासन संस्थान), पूर्व उपकुलपति (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय) ने प्रबुद्ध भारत की आवश्यकता पर अपना वक्तव्य रखा। आज भारत की बात कोई नहीं करता तो प्रबुद्ध भारत की बात कौन करेगा। मैकाले की शिक्षा ने भारतीयों को भारतीय होने के गर्व से दूर किया, लेकिन स्वतंत्रता के 70 वर्ष के बाद तो हम भारतीय होने पर गर्व महसूस करें। भारत की संकल्पना में पूरा विश्व ही एक परिवार है, जहां अतिथि भी परिवार का हिस्सा है। बच्चों को धर्मसंस्कार की शिक्षा दें, समर्पण का, सेवा का भाव उनमें आए ताकि प्रबुद्ध भारत का निर्माण हो सके। प्रत्येक प्रबुद्ध भारतीय जाति, धर्म, भाषा, समुदाय से ऊपर उठकर सभी को अपना मानकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे। बुद्धि और भावना को मिलाकर ऐसे भारत का निर्माण कर सकें जो देश और दुनिया में अपना खोया हुआ गौरव प्राप्त कर सके।

कार्यक्रम में सेविकाओं ने लक्ष्मीबाई केलकर जी के जीवन से जुड़ी प्रेरक घटनाओं का नाट्य रूप में मंचन भी किया। जब सिंध की महिलाओं के आग्रह पर लक्ष्मीबाई केलकर कराची गई और 14 अगस्त 1947 को उन 1200 समिति की स्वयंसेविकाओं को अपनी आन-बान-शान के साथ जीने की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम में दिल्ली प्रांत कार्यवाहिका सुनीता भाटिया जी, प्रांत प्रचारिका विजया जी, राधा मेहता जी, आशा दीदी उपस्थित रही। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर, समिति की कार्यकर्ताओं सहित लगभग 200 महिलाओं ने हिस्सा लिया। ध्वज वंदन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

राष्ट्र सेविका समिति 80 साल पुरानी संस्था है, जिसे लक्ष्मीबाई केलकर जी ने 1936 में नागपुर में स्थापित किया था। समिति स्त्री पुरुष की समानता तथा महिलाओं के शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास और उनके परिवार, समाज राष्ट्र के उत्थान के लिए अधिकतम योगदान की दिशा में काम करती है। समिति का मानना है कि महिलाएं मार्गदर्शक हैं तथा जीवन को दिशा देती है। समिति देशभर में अनेक सेवा कार्य चलाती है और इस समय ऐसे 52 प्रकल्प कार्यरत है।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fourteen − 13 =