विश्व कल्याण का मार्ग भारत से होकर ही निकलेगा – भय्याजी जोशी

हिन्दू एक होने की बात करता है, एक जैसा होने की नहीं

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी ने कहा कि देश के विकास में आज सबसे बड़ी बाधा हीनता का भाव है. लोग दूसरे देशों या संस्कृति से खुद को हीन समझने लगे हैं. भारत को जापान, चीन अमेरिका जैसे दूसरे देशों का अनुकरण करने के बजाय भारत को भारत रहने की आवश्यकता है. देश के युवाओं में हीनता को छोड़कर संस्कृति, भाषा, विचार आदि के लिए जागरूक करने का संकल्प लेना होगा. युवा पीढ़ी को समझना होगा कि विश्व कल्याण का मार्ग भारत से होकर ही निकलेगा.

सरकार्यवाह शनिवार को मानसरोवर स्थित संस्कृति कॉलेज सभागार में आयोजित प्रबुद्ध जन संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे. संगोष्ठी  में विभिन्न क्षेत्रों सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी, न्यायिक, प्रशासनिक, सामाजिक, शैक्षिक व व्यवसायिक आदि का नेतृत्व करने वाले प्रबुद्ध जन उपस्थित थे. सरकार्यवाह जी ने कहा कि देश में आज हीनभावना से ग्रस्त होने की चुनौती को दूर करने के लिए परिवार, संगठनों के साथ सभी को प्रयास करने होंगे. दुनिया में ईश्वर के रूप भिन्न हैं, लेकिन ईश्वर एक है. आज दुनिया ईश्वर के रूपों को लेकर ही संघर्ष कर रही है. जबकि हिन्दू जीवन शैली कहती है कि आपस में संघर्ष की जरूरत नहीं है, हम एक होकर चलेंगे. यही विश्व कल्याण का मार्ग है. हमारी संस्कृति में किसी प्रकार का दुराग्रह नहीं है. शास्त्रीय मान्यता है कि संसार में जो भी बना है, वह पंचमहाभूतों से निर्मित हुआ है और उसी में विलीन हो जाएगा. पंचभूतों के बिना दुनिया में कोई भी शक्ति नहीं चल सकती है. ऐसे में इनके मूल में पूजा का भाव रहता है, न कि संघर्ष का. दुनिया ने मानव व प्रकृति को अलग अलग मानकर समस्याओं को न्यौता दिया है. भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए चलना सिखाती है.

भय्याजी जोशी ने कहा कि संबंध कानून से नहीं, बल्कि भावनात्मक लगाव के कारण चलते हैं. भारतीय समाज का चिंतन है कि मानव की जीवन शैली परस्पर संबंधों के आधार पर विकसित हुई. शरीर साधन है, कोई स्थायी वस्तु नहीं है. शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अविनाशी है. यह मानने वाला हिन्दू है. इस धारणा से हटने पर विनाश के अलावा कुछ नहीं है. भारत की जवीन शैली सकारात्मक सोच वाली है, जो अच्छाई के लिए प्रेरित करती है.

उन्होंने कहा कि हम दुनिया से कहते हैं कि मानव के संबंध अधिकार सुरक्षित रखने से चलते हैं. आपसी संबंधों में सहज भाव है, हमारे यहां किसी को किसी के प्रति अन्याय करने का अधिकार नहीं दिया है, यह प्रमाणिकता मनुष्य के स्वभाव व आचरण में है. हम विचार के साथ बदलने वाले नहीं हैं.

एक प्रश्न का उत्तर देते हुए भय्याजी ने कहा कि भारत में नारी को पुरुषों के समान अवसर प्राप्त है. हर क्षेत्र  में महिलाएं आगे है. हिन्दू समाज में कुछ विकृति आ गई थी, जिसका कारण अपने जीवन मूल्यों से दूर होना रहा. जब-जब हिन्दू समाज अपने मूल भाव से दूर हुआ, तब-तब उसको पराभव देखना पड़ा है.

इन विकृतियों को दूर करने के लिए समाज,परिवार, संस्था, आदि सभी को संकल्प लेना होगा. मन की दुर्बलताओं को दूरकर संस्कारवान बनाना होगा.

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fifteen − nine =