जम्मू कश्मीर में 29-30 जून को विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक आयोजित की जा रही है. जिसमें देशभर से प्रतिनिधि उपस्थित हैं. बैठक के पहले दिन जम्मू कश्मीर को लेकर दो विषयों जम्मू कश्मीर में अलगाववादी व हिन्दू विरोधी नीतियों व प्रावधानों, हिन्दू तीर्थस्थलों व तीर्थयात्राओं के विकास पर प्रस्ताव पारित किये गए.
विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय प्रबन्ध समिति बैठक-29-30 जून, 2019,
काँगड़ा फोर्ट बैंक्वेट हाल, (मुठी बरनाई), जम्मू (जम्मू कश्मीर)
प्रस्ताव – हिन्दू तीर्थस्थलों व तीर्थयात्राओं का विकास ही जम्मू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग बना सकता है
जम्मू कश्मीर केवल यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण ‘धरती का स्वर्ग’नहीं है, अपितु विहिप की प्रबंध समिति का यह स्पष्ट अभिमत है कि यहाँ के तीर्थस्थल, तीर्थयात्राएँ, मंदिर एवं ऐतिहासिक स्थल समग्र रूप से मिलकर ही इस स्वर्ग को अलौकिक रूप प्रदान करते हैं. इन पावन स्थलों के बिना यह धरती न स्वर्ग बन सकती है और न यहाँ का वैशिष्टय बना रह सकता है. इन तीर्थयात्राओं का विकास करके, तीर्थस्थलों को भव्यता प्रदान करके तथा मंदिरों को सुरक्षा प्रदान करके एवं वहाँ परम्परागत रूप से पूजा-अर्चना सुनिश्चित करके ही जम्मू-कश्मीर की आत्मा को पुष्ट किया जा सकता है.
पाक-अधिकृत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के नजदीक स्थित शारदा पीठ न केवल शक्तिपीठ है, अपितु ज्ञान अर्जन का बहुत बड़ा केन्द्र रही है. यहाँ पर स्थित विश्वविद्यालय में एक समय में पाँच हजार छात्र पढ़ा करते थे. यह पीठ जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य के साथ भी जुड़ी है. कल्हन व अभिनव गुप्त जैसे प्रकाण्ड विद्वान भी इस विश्वविद्यालय से जुड़े थे. पूरे देश के हिन्दुओं की आस्था का यह महत्वपूर्ण केन्द्र रही है. कांगड़ा फोर्ट जम्मू में आयोजित विहिप की प्रबंध समिति की यह सभा भारत सरकार से आग्रह करती है कि वे पाकिस्तान सरकार से पुरजोर आग्रह करके शारदा पीठ को हिन्दुओं के लिए खुलवाए और इसके संचालन का अधिकार आस्थावान हिन्दुओं को सौंपना सुनिश्चित करवाए, जिससे परंपरागत रूप से पूजा-अर्चना की जा सके. विश्व हिन्दू परिषद केन्द्र सरकार से यह भी अपील करती है कि वे शारदा कॉरीडोर का निर्माण करवाए, जिससे यात्री बिना वीजा व परमिट के यात्रा सम्पन्न कर सकें.
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा विश्व की सबसे दुर्गम यात्राओं में से एक है. परन्तु इसके सबसे छोटे, अच्छे और सुविधाजनक मार्गों में से एक मार्ग लद्दाख की ओर से जाता है. लेह से केवल 2 दिन में सड़क मार्ग द्वारा मानसरोवर के बेस कैम्प में पहुँचा जा सकता है. विहिप केन्द्र सरकार से माँग करती है कि वे चीन सरकार से बातचीत करके इस मार्ग को खुलवाए.
अमरनाथ यात्रा हिन्दुओं की भारत में सबसे पावन व दुरुह यात्राओं में से एक है. उनको सुविधाएँ देना व मार्ग की कठिनाइयों को न्यूनतम करना राज्य सरकार व बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड का वैधानिक दायित्व है. कुछ सुविधाएं दी भी गई हैं, इसके लिए बोर्ड प्रशंसा का पात्र है; परन्तु अभी यात्रा को और अधिक सुगम किया जाना शेष है. इस यात्रा के लिए केबल कार (CABLE CAR) की अनुशंसा कई बार की जा चुकी है. बोर्ड के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ने ग्रीन ट्रिब्यूनल की एक बैठक में यह लिखकर भी दिया है कि वे इस पर काम कर रहे हैं. विहिप की प्रबंध समिति जम्मू-कश्मीर के महामहिम राज्यपाल से अनुरोध करती है कि वे इस विषय पर तीव्रता से काम करने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दें, जिससे अगली यात्रा में केबल कार (CABLE CAR) का उपयोग हो सके. यह सबसे सुरक्षित व प्रदूषण मुक्त साधन सिद्ध होगा. ऐतिहासिक रूप से यात्रा 6 अलग-अलग मार्गों से जाती रही है. एक मार्ग जो सबसे छोटा व सुरक्षित है, वह कारगिल से होकर जाता है. उस पर विशेष करणीय कार्य भी नहीं है. अतः इस मार्ग से भी यात्रियों को जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
कश्मीर घाटी में हिन्दुओं के सैकड़ों मंदिरों और उनकी जमीनों पर अवैध कब्जे किए जा चुके हैं. कई मंदिरों के ऐतिहासिक व पवित्र स्वरूपों को खण्डित भी किया जा चुका है. महामहिम राज्यपाल महोदय से अपील है कि उन सभी मंदिरों व उनकी जमीनों को चिह्नित करके उन पर अवैध कब्जे हटाए जाएँ. इन मंदिरों की ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे उन सब मंदिरों में परंपरागत रूप से पूजा-अर्चना प्रारंभ की जा सके तथा जम्मू-कश्मीर में पीड़ित हिन्दू समाज को न्याय दिलाने व जम्मू-कश्मीर की न्याय व्यवस्था में उनका विश्वास लौटाने में उपरोक्त कदम निर्णायक सिद्ध हो सके.
प्रस्ताव – अभिषेक गुप्ता, जम्मू
अनुमोदक – गाला रेड्डी, भाग्यनगर