राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करना है. शाखा के कार्यक्रम उसका माध्यम हैं. संघ का स्वयंसेवक हर कार्य में उत्कृष्टता प्राप्त करता है. हमने घोष वर्ग में कई वाद्यों पर अलग-अलग राग रागिनी सीखी है. पर हम किसी कला के लिए नहीं, अपितु हिन्दू समाज के संगठन के लिए समर्पित हैं.
सरसंघचालक जी भारत भारती आवासीय विद्यालय में 25 सितम्बर से चल रहे अखिल भारतीय घोष नैपुण्य वर्ग के समारोप कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि संघ का कार्यकर्ता सामान्य जैसा ही रहता है, आलौकिक नहीं रहता. पर उसे सदैव अपने ध्येय का स्मरण रहता है. अनासक्त होकर काम करता है. उत्कृष्टता की साधना करने वालों को अन्य लोगों के प्रति करुणा, प्रेम और सहानुभूति की दृष्टि होनी चाहिए.
संघ के अखिल भारतीय बीस दिवसीय घोष नैपुण्य वर्ग का समापन
प्रसिद्ध संगीतकार पंडित भीमसेन जोशी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पंडित जी ने योग्यता होते हुए भी संगीत सीखने के लिए कठिन परीक्षा दी. पर अपने शिष्यों की कठिन परीक्षा नहीं ली. उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें शिक्षा दी. उनके मन मे कभी अहंकार नहीं रहा. हमें भी यह शिक्षा अपने-अपने प्रान्तों में जाकर स्वयंसेवकों को सिखानी है. बिना उत्कृष्टता के आनंद नहीं मिलता. बिना उत्कृष्टता के तृप्ति नहीं मिलती. इसलिए सर्वोत्कृष्ट प्राप्त करना है.
55 मिनट अनवरत घोष वादन
बीस दिन से चल रहे घोष वर्ग में देश के प्रत्येक प्रांत से आये स्वयंसेवक घोष वाद्यों में निपुणता प्राप्त कर रहे थे. समारोप कार्यक्रम में घोष वादकों ने अनवरत 55 मिनट तक सरसंघचालक जी तथा उपस्थित स्वयंसेवकों के समक्ष घोष वादन किया.
घोष वादकों ने नागांग, तूर्य, स्वरद, वंशी, आनक, शंख आदि वाद्यों की भारतीय राग पर आधारित 47 रचनाओं का वादन किया. जिनमें राग भूपाली, शिवरंजनी, बहार, कल्याण, पहाड़ी आदि सम्मिलित थे. शंख की एक नई धुन मार्तण्ड का भी वर्ग में निर्माण एवं वादन विशेष रूप से किया गया. वर्ग में सम्पूर्ण देश से शिक्षार्थियों ने भाग लिया. दो दिन तक सरसंघचालक जी का सान्निध्य घोष वादकों को प्राप्त हुआ. उन्होंने संघ स्थान पर स्वयंसेवकों को विभिन्न वाद्यों का प्रशिक्षण दिया.
इस अवसर पर अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख सुनील कुलकर्णी जी, सह शारीरिक प्रमुख जगदीश जी, मध्यभारत प्रांत के संघचालक सतीश पिम्पलीकर जी भी उपस्थित थे.