स्वच्छ, सुन्दर, पवित्र चित्रकूट एवं निर्मल मंदाकिनी पर चिन्तन बैठक

ऋषि मुनियों की पावन भू भारत माँ को सम्पूर्ण विश्व श्रद्धा एवं सम्मान की दृष्टि से देखता है. इसके पीछे है, हमारे ऋषि मुनियों व पूर्वजों का कठिन तप तथा हमारी गंगा जमुनी संस्कृति. प्रकृति हमें देना सिखाती है, चाहे वे फल से लदे वृक्ष हों, स्वच्छ जल से परिपूर्ण हमारी निर्मल नदियाँ, तालाब व शुद्ध हवा देने वाले हमारे विशाल जंगल. प्रकृति से व्यवहारिक सीख लेकर हम सब भी कुछ देना सीखें अर्थात् अपना दायित्व समझें.

मर्यादा पुरूषोतम राम की तपस्थली चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान के संस्थापक राष्ट्रऋषि नानाजी ने संस्थान के प्रकल्पों के माध्यम से प्रकृति की इस निःस्वार्थ भाव से देने की सीख से जनमानस में स्वावलंबन अभियान के तहत एक अलख जगाई. उस अलख की एक कड़ी के रूप में ‘स्वच्छ चित्रकूट निर्मल मंदाकिनी से सम्बन्धित चिन्तन बैठक’ में चित्रकूट के सभी मठ, मन्दिरों के सन्त, महात्मा, शैक्षिक संस्थाओं, महात्मा गाँधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति, विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति, सभी सामाजिक संस्थाओं, सदगुरू सेवा संघ ट्रस्ट, गायत्री शक्तिपीठ, सर्वोदय संस्थान, अखिल भारतीय सेवा संस्थान सहित अन्य के प्रतिनिधियों के साथ गांवों के ग्राम प्रधानों, नमामि गंगे योजना से जुड़े डॉ. अरूण जोशी जी, दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन जी, चित्रकूट प्रकल्प के संगठन सचिव अनिल मिश्र जी ने ‘स्वच्छ चित्रकूट निर्मल मंदाकिनी’ पर विचार देने के साथ संकल्प लिया कि गांधी जयन्ती के दिन 02 अक्टूबर 2018 से अभियान को एक हजार दिन की योजना बनाकर साकार करेंगे.

दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्यापीठ स्थित लोहिया सभागार में आयोजित चिन्तन बैठक में दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन जी ने कार्यक्रम की भूमिका रखी. बैठक का संचालन रामायणी कुटी के सन्त रामह्दय दास जी ने किया. उन्होंने कहा कि इस चिन्तन बैठक के माध्यम से हम सबको एक स्पष्ट कार्य योजना बनाकर उसे व्यवहारिक धरातल पर उतारना है.

सन्त गोविन्ददास जी ने कहा कि हमें मन्दाकिनी की धारा के जल स्रोतों में छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक भालेन्द्र सिंह जी ने कहा कि अब इस अभियान को हमें व्यवहारिक धरातल पर साकार करके दिखाना है.

गौरिहार मन्दिर के संत रूपनारायण जी ने कहा इस गंगा सफाई अभियान में जो भी सहयोग अपेक्षित होगा, उसे मन्दिर तन, मन, धन से करेगा.

महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेश चन्द्र गौतम जी ने कहा कि विश्वविद्यालय सामूहिक संकल्प के साथ इस कार्य में व्यवहारिक रूप से अपना सहयोग करेगा.

गायत्री शक्तिपीठ के व्यवस्थापक डॉ. रामनारायण त्रिपाठी जी ने कहा कि शक्तिपीठ 2005 से अभियान में अपने स्तर से प्रयास कर रहा है. आज चित्रकूट का सम्पूर्ण जनमानस इस हेतु एकत्र हुआ है, निश्चित रूप से माँ मन्दाकिनी की अनुकम कृपा से साकार परिणाम आएंगे.

सदगुरू सेवा संघ ट्रस्ट के निदेशक डॉ. वी.बे. जैन जी ने कहा कि छोटी-छोटी योजनाएँ बनाकर हम सभी अपने आस-पास के स्थान एवं गंगा के घाटों को स्वच्छ रखेंगे तो निश्चित रूप से हमारी यह बैठक साकार रूप लेगी.

सर्वोदय संस्थान के अभिमन्यु सिंह जी ने कहा कि संस्थान 2011 से छोटे रूप में अपने स्तर पर इस काम में लगा हुआ है.

विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश चन्द्र जी ने कहा कि आज पूरा चित्रकूट एक साथ बैठा है, निश्चित रूप से इस चिन्तन बैठक से कुछ सकारात्मक परिणाम निकलेंगे.

अखिल भारतीय सेवा संस्थान के भागवत जी ने कहा कि हम सबको वर्षा जल संरक्षित करने की दिशा में व्यवहारिक प्रयास करने होंगे. तभी मंदाकिनी का जल स्तर बढ़ेगा.

चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ई. रमाकान्त त्रिपाठी जी ने कहा कि वर्षा का पानी संरक्षित करने से भू-गर्भ क्षेत्र का जल स्तर बढ़ेगा तो बहुत कुछ गन्दगी स्वतः साफ हो जाएगी. चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के व्याख्याता डॉ. रविन्द्र सिंह जी ने कहा कि हम सबको अपने भारतीय संस्कारों को व्यवहारिक धरातल पर अपनाने से बहुत समस्याओं का समाधन स्वतः हो जाएगा. डॉ. साधना चौरसिया जी ने कहा कि मन्दाकिनी के जल स्रोतों को जीवित रखना प्रमुख कार्य होगा. घनश्याम गुप्ता जी ने कहा कि नदी किनारे अधिक से अधिक वृक्षों का रोपण करने के साथ-साथ उनके संरक्षण एवं संवर्धन की चिन्ता हम सभी अपने-अपने स्थानों के आस-पास करेंगे तो नदी का जल स्तर बढ़ने के साथ अच्छी वर्षा भी होगी. अपने यहाँ कहा भी गया है – संत विटप सरिता गिर धरणी, एक परिवारा. विश्वविद्यालय के डॉ. शशिकान्त त्रिपाठी जी ने कहा कि हमें नदी के जल स्रोतों के आस-पास अधिक सीमेन्ट का निर्माण कार्य नहीं करवाना चाहिये.

नमामि गंगे योजना से जुड़े डॉ. अरूण जोशी जी ने कहा कि सरकार को कुछ ठोस कानून नदी पर्यावरण को लेकर बनाने होंगे. स्वच्छ, सुन्दर, पवित्र चित्रकूट एवं निर्मल मंदाकिनी के बारे में व्यवहारिक विचार रखते हुये कहा कि एक हजार दिन की कार्य योजना बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्म दिन 2 अक्टूबर 2018 से शुभारम्भ आप सब के सामूहिक प्रयास से होगा.

यू.के. के दीनदयाल शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. नरेश शर्मा जी ने कहा कि हम सबको अपने-अपने स्तर से मन्दाकिनी स्वच्छता के बारे में सार्थक प्रयास करना चाहिये.

नए गाँव के राजा हेमराज चौबे जी ने कहा कि चित्रकूट में 3 नदियों (सरयू, पैश्वनी, मन्दाकिनी) का संगम था. सन्त समाज शासन मन्दाकिनी के संरक्षक हैं, अतः हम सबको लुप्त हुई नदियों के उद्गम स्थल की खोज एवं झूरी नदी में बांध बनाने का काम ही इस योजना में लेंगे तो नदी का जल स्तर बढ़ेगा.

सन्त सनकादि महाराज जी ने कहा कि सन्त को साधना के लिए जल और जंगल की आवश्यकता होती है. चित्रकूट में चूंकि बहुत बड़ा जंगल मंदाकिनी के किनारे था, अतः सन्तों ने मंदाकिनी के किनारे ही साधना के लिए अपने आश्रम बनाए. अब यदि आज आश्रमों का कुछ गन्दा जल मंदाकिनी में जा रहा है तो उसके लिए शासन को सीवर लाइन का निर्माण अति शीघ्र करवाना चाहिए. सन्तों का इसमें जो भी सहयोग अपेक्षित होगा, वे करेंगे. आज ही व्यवहारिक संकल्प लेकर दो-दो वृक्ष लगाने के साथ कम से कम 5 वर्ष उनके संरक्षण संर्वधन की चिन्ता करेंगे तो चित्रकूट स्वयंमेव सुन्दर दिखने लगेगा.

कामदगिरी प्रमुख द्वार के सन्त मदनगोपाल दास जी ने एक स्पष्ट दिशा देने के साथ ही उपस्थित चित्रकूट वासियों को सामूहिक शपथ दिलाई कि हम सभी के प्रयास एवं सहयोग से स्वच्छ, सुन्दर, पवित्र चित्रकूट एवं निर्मल मंदाकिनी के दर्शन सबको होंगे. ऐसा सामूहिक प्रयास समस्त चित्रकूट वासियों को करना है.

कल्याण मंत्र ……सर्वे भवतु सुखिनः……. से चिन्तन बैठक सम्पन्न हुई.

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