राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि स्व. बालासाहब आपटे जी का युवा शक्ति पर गहरा विश्वास था. युवाओं का अनुभव कम है, उनकी आयु कम है, इस कारण उनका पीछे रहना आवश्यक नहीं. देश के युवा, विद्यार्थी परिवर्तन का माध्यम हैं. राष्ट्र निर्माण के कार्य में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रह सकती है. विद्यार्थियों की ओर स्वतंत्र नागरिक के रूप में देखना चाहिए. स्व. बालासाहेब आपटे जी ने समाज के सामने ये विचार रखे थे.
महाराष्ट्र शासन उच्च एवं तंत्रशिक्षा विभाग और मुंबई विश्वविद्यालय के माध्यम से ‘प्रा. बाल आपटे सेंटर फॉर स्टडीज इन स्टुडेंट्स एंड यूथ मूवमेंट’ केंद्र का ‘भूमिपूजन’ समारोह सोमवार, 19 अगस्त को संपन्न हुआ. समारोह में सह सरकार्यवाह मुख्य रूप से उपस्थित थे. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व लोकसभा के पूर्व सभापति मनोहर जोशी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर, मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुहास पेडनेकर, पीपल्स एजूकेशन सोसायटी की अध्यक्ष निर्मला आपटे, प्र-कुलगुरू रवींद्र कुलकर्णी सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे.
दत्तात्रेय होसबले ने कहा, 1978 में भारत का एक प्रतिनिधि मंडल रूस गया था. प्रतिनिधिमंडल के मन में आया कि भारत के युवा आंदोलन, यहां के ‘विद्यार्थी’ यह संकल्पना, इसका परिचय पूरे विश्व को देना आवश्यक है. यूएन ने 1985 के वर्ष को ‘वैश्विक युवा वर्ष’ घोषित किया. इससे पहले, 1983 में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की उपस्थिति में वैश्विक विद्यार्थी एवं युवा संगठन की स्थापना हुई. इस संगठन का सैद्धांतिक विचार क्या होना चाहिये, कार्यपद्धति कैसी होनी चाहिये, प्रारूप कैसा होना चाहिये. इस बारे में चर्चा करके, नोट्स बालासाहेब आपटे जी ने ही तैयार किये थे. इस अभ्यास केंद्र का भूमिपूजन 1978 से 1985 तक चली प्रक्रिया का अगला हिस्सा है, ऐसा हम मान सकते हैं.
दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि एक जाने माने विधिज्ञ, विद्यार्थी आंदोलन के आधार, दिशा देने वाले शिक्षातज्ञ, अच्छे सांसद, सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और अपने शब्द को प्रमाण मानकर चलने वाला व्यक्ति, स्व. बालासाहेब आपटे जी का ऐसा बहुआयामी व्यक्तित्व था. वे बडी बिल्डिंग के कमरे में बैठकर तत्त्वज्ञान सिखाने वालों जैसे नहीं थे. प्रत्यक्ष कार्य करने वाले कार्यकर्ता थे. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से, विद्यार्थी एवं युवा आंदोलन की जानकारी, युवा संगठन का तत्वज्ञान सर्वसामान्य लोगों तक ले जाने का काम उन्होंने किया.
युवाशक्ति को योग्य दिशा में प्रवाहित करना आवश्यक – राज्यपाल
महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव जी ने कहा कि हम परिवर्तन की चरम सीमा पर खड़े हैं. आज भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या युवा है. 2020 में भारत की औसत आयु 29 वर्ष, अर्थात् अमरिका और चीन से आठ वर्ष कम होगी. समाज की इस युवाशक्ति को योग्य दिशा में प्रवाहित करना आवश्यक है. समाज के विकास के लिये, मानव कल्याण के लिये, युवाओं को उत्तम शिक्षा देना और उन्हें रोजगारक्षम बनाना आवश्यक है. प्रा. बाल आपटे सेंटर फॉर स्टडीज के माध्यम से विद्यार्थियों से संबंधित विषय का अभ्यास होगा. शोध का उपयोग समाज के लिये नीतियां बनाने के लिये होगा. मुझे विश्वास है कि यहां से प्रशिक्षित होने वाला विद्यार्थी वर्ग नेतृत्व करेगा और देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाएगा.