हम अपने संस्कारो के द्वारा ही पूरी दुनिया को संस्कारवान बनायेग – शरदराव ढोले

समाज बदल रहा है, किन्तु हमें और आगे जाना है- नितिन गडकरी

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DSC_0203 DSC_0204विसके जयपुर।
जयपुर 10 मार्च।हिन्दू धर्म में महिला को देवी और माता के रूप में माना है, यहा गंगा, गाय, तुलसी, सृष्टि अर्थात जन्म भूमि को भी माता के रूप में पूजा जाता है। किन्तु ईसाई और मुस्लिम धर्म में महिलाओं को उतना सम्मान प्राप्त नहीं होता यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण समन्वय विभाग के अखिल भारतीय प्रमुख का वह आज जयपुर के जे.एल.एन. मार्ग स्थित महाराणा प्रताप सभागर में अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान द्वारा आयोजित भारत की संस्कृति पहचानः चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर आयोजित राष्ट्रीय आख्यान को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होनें कहा की भूखे रह कर दूसरो को खिलाना ही भारतीय संस्कृति है और हम अपने संस्कारो के द्वारा ही पूरी दुनिया को संस्कारवान बनायेगें। परस्पर विरोधी लोगों को साथ बैठाने का संस्कार हिन्दू समाज में ही है। ढोले कहा की राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत बहुत पुरानी है, और आने वाले समय में राजस्थान अग्रणी स्थान पर होगा, क्योकि राजस्थान की पावन धरती पर जो अपनों से बिछडे लोगो को पुनः अपनी संस्कृति के साथ जोडने के लिए वंषावली लेखन का कार्य प्रारम्भ हुआ, यह सराहनीय है।

शरद राव ने संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्रद्धेय मुकन्दराव के जीवन पर प्रकाष डालते हुए कहा की वह अत्यन्त सहज और सरल प्रकृति के धनी थे। उन्होनें समाज से बिछडे हुए बन्धुओं को पुनः एक जाजम पर लाने के लिए धर्मजागरण समन्वय द्वारा अनेक प्रयास किये, जिसमें गुजरात का शबरी कुम्भ और मध्यप्रदेष का नर्मदा कुम्भ एक विलक्ष्ण उदाहरण रहे। इन दोनों सामाजिक कुम्भों में लाखों की संख्या में आदिवासी, जाति, जन-जाति के लागों का सहभाग रहा, जो अपने आप में अनुठा प्रयास था।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए केन्द्रीय सडक एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा की समाज बदल रहा है, जो आज है वो कल नहीं था और न कल होगा। देष को स्वराज दिलाने के लिए अनेक पीढियां का जीवन लगा है, किन्तु हमें और आगे जाना है। हम तकनीक, ज्ञान-विज्ञान में आगे निकल रहे है, और भारतीय अर्थव्यवस्था आज मजबूत स्तर पर है।

गडकरी ने कहा की भारत में हमें संस्कृति, इतिहास, विरासत मिली है। जिसके कारण हमारी परिवार पद्धति आज भी जीवित है। विदेषी संस्कृति मात्र भोग विलास से पूर्ण है और वह सदैव शांति की तलाश करते है। उन्होनें बताया की इतिहास साक्षी है कि भारत में किसी भी हिन्दू राजा ने कभी किसी पर अत्याचार नहीं किया, क्योंकि हिन्दू संस्कृति में सहजता का सदैव भाव रहा है। उन्होनें कहा की आज योग और आयुर्वेद की श्रेष्ठ पद्धति के कारण भारत आज सात समुद्र पार पुनः शीर्ष स्थान पर है। हमें अपने इन विचारो से विष्व को संस्कार देने की ताकत है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा की राजस्थान में हो रहे वंशवली लेखन के श्रेष्ठ कार्य को आगे बढाने के लिए हम पूर्ण सहयोग प्रदान करेगेंं। उन्होनें इस विषय पर शोध कार्य भी बढाने की बात कही।

कार्यक्रम के संयोजक व संघ के धर्म जागरण विधि निधी प्रमुख रामप्रसाद ने कहा की जिस देश में स्थानीय लोगों की संख्या घटने और अन्य धर्मो की संख्या बढेगी तो देश पर संकट बढेगा। मतांतरण के कारण हमारे अपने देश में हमारी अपनी संख्या घट रही है। उन्होनेंं कहा की मुकुन्दराव जी ने भारत क्यो टूट रहा है, इस पर चिन्ता जताई थी। उन्होनें मतांतरण केवल अनुसूचित जाति, जनजाति की समस्या नहीं है, यह पूरे देश की समस्या है। यह देश हमारी मातृभूमि, पितृभूमि, कर्मभूमि है यह भाव हमें अपले मन में लाना होगा। मतांतरण से अपनी संख्या कम तो होती ही है, साथ ही हमारे शत्रु की संख्या भी बढती है।

अतिथियों द्वारा श्रेद्धेय मुकुन्दराव पणषीकर कर पर प्रकाषित ग्रन्थ का भी विमोचन किया गया।

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