गाय, गंगा और गांव हमारी भारतीय संस्कृति की धुरी हैं। हमारी हिंदू संस्कृति में कुटुम्ब प्रबोधन, वर्ष प्रतिपदा और परिवारों का विशेष महत्व है। हम सभी को मिलकर इस परम्परा को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाना होगा। हिंदू संस्कृति और हिंदुत्व को आगे बढ़ाएं। अपनी परम्पराओं को आगे बढ़ाना ही होगा। ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत जी ने काशी (उत्तर प्रदेश) प्रवास से जाने से पूर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश के स्वयंसेवको के समक्ष व्यक्त किए। मोहन भागवत जी ने पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि जो भी योजना बने, दो–तीन माह में फलीभूत होनी चाहिए। शाखाओं का गांवों के स्तर तक विस्तार करने की योजनाओं को गति दें। उन्होंने आगे कहा कि नए स्वयंसेवकों को नैतिकता का पाठ पढ़ाएं। संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने भगवान शिव की नगरी काशी में संस्कृति, संगीत, कला और विलुप्त हो रही संस्कृति एवं कलाओं को पुनर्जीवित करने के लिए हर सहायता देने का वचन दिया है। उन्होंने आगे कहा कि सर्व विद्या की राजधानी में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को किसी भी मूल्य पर मिटने नहीं दिया जाएगा। पांच दिवसीय काशी प्रवास पर आए संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में काशी के विद्वानों और संगीतकारों के साथ भेंट के साथ यह वचनबद्धता व्यक्त की। साथ ही, उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक ईमानदारी और सेवा का भाव बनाए रखें।