अध्यात्म के बिना विज्ञान, विनाश कर सकता है – डॉ. कृष्णगोपाल जी

भोपाल (विसंकें). भोपाल के रविन्द्र भवन में सिंहस्थ के परिप्रेक्ष्य में ‘विज्ञान एवं अध्यात्म’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि पाश्चात्य जगत में धर्म और विज्ञान में द्वंद है. भारत में धर्म का स्वरूप व्यापक है. इसके अंत:रूप में धर्म है. सभ्यता विज्ञान और अर्थ से आगे बढ़ती है. सभ्यता परिवर्तनशील है, जबकि संस्कृति स्थायी है. संस्कृति में अध्यात्म है जो जीवन को दिशा देती है. हमारी संस्कृति का केन्द्र बिन्दु अध्यात्म है. व्यक्ति के सदगुण अध्यात्म से प्रगट होते हैं. विज्ञान लेना सिखाता है, जबकि अध्यात्म देना सिखाता है. अध्यात्म के बिना विज्ञान, विनाश कर सकता है. डॉ. कृष्णगोपाल वैचारिक कुंभ ‘विज्ञान एवं अध्यात्म’ के शुभारंभ सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. संगोष्ठी कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी और मुख्य वक्ता के रूप में स्वामी विवेकानंद योग एवं अनुसंधान संस्थान बैंगलुरु के कुलाधिपति डॉ. एचआर नागेंद्र जी उपस्थित थे.

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नागेन्द्र जी ने120216n2 कहा कि आधुनिक विज्ञान चार सदी पहले शुरू हुआ. भौतिक विश्व के आगे क्या है, यह अध्यात्म बताता है. अध्यात्म प्राण, मन, बुद्धि और अहंकार से उपजी समस्याओं के समाधान की बात करता है. उपनिषदों में ज्ञान और अध्यात्म का भंडार है. अध्यात्म से आधुनिक समय की सारी चुनौतियों के समाधान ढूँढे जा सकते हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म परस्पर पूरक हैं. दुनिया के सारे विचारों का आदर करने की परंपरा भारत में है. उन्होंने कहा कि भारत में मिलकर विचार करने की पुरानी परंपरा है. सिंहस्थ के परिप्रेक्ष्य में वैचारिक कुंभ के माध्यम से इस परंपरा को पुनर्जीवित किया गया है. हमारे यहां सारी दुनिया को एक परिवार माना गया है. धर्म का मूल मानव-कल्याण है. भौतिक प्रगति सुख के लिये पर्याप्त नहीं है. भौतिक प्रगति ने मानव को विकृति तक पहुंचा दिया है. मनुष्य के सुख के लिये अध्यात्म आवश्यक है. मनुष्य को मन, बुद्धि और आत्मा का सुख भी चाहिये. अध्यात्म स्थूल से सूक्ष्म तक की यात्रा है. अध्यात्म मनुष्य को जीवन के अंतिम लक्ष्य तक पहुंचाता है.

आरंभ में मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महापरिषद के अध्यक्ष प्रमोद वर्मा ने वैचारिक महाकुंभ के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सिंहस्थ के परिप्रेक्ष्य में आयोजित चौथे वैचारिक महाकुंभ में तीन दिन में सात तकनीकी सत्र होंगे. विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. विजय भटकल का वीडियो उद्बोधन भी हुआ. विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री जयंत सहस्त्रबुद्धे भी कार्यक्रम में उपस्थित थे.

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