गुजरात हिंसा – अन्य प्रांतों के लोगों से मारपीट करने के मामले में 22 कांग्रेस नेता गिरफ्तार

अल्पेश की ठाकोर सेना का सोशल मीडिया संयोजक भी गिरफ्तार

गुजरात में जैसे-जैसे स्थिति सामान्य हो रही है, समाज को बांटने व हिंसा भड़काने में शामिल लोगों के चेहरे सामने आने शुरू हो गए हैं. अभी तक जो तथ्य सामने आए हैं,  उनमें कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं के नाम सबसे आगे हैं. उन्हीं के बहकावे में आकर लोगों ने अन्य प्रांतों के बंधुओं के साथ हिंसा शुरू की. अल्पेश ठकोर, गेनीबेन के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रयासों से काफी स्थानों पर स्थिति सामान्य हो गई है. कुछ स्थानों पर पहले ही स्थिति को संभाल लिया था.

28 सितंबर को रविन्द्र साहू नामक शख्स ने साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में एक 14 मास की बच्ची के साथ बलात्कार किया था. पुलिस ने अपराधी को तुरंत पकड़ कर कार्यवाही शुरू कर दी थी. गांधीनगर के पास उवारसद नाम के गाँव में गांधीनगर तालुका पंचायत में कांग्रेस डेलीगेट म्होताजी ठाकोर ने गाँव में रहने वाले अन्य प्रांत के बंधुओं को धमकाया व सुबह तक गुजरात छोड़ने की धमकी दी और उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया था.

गांधीनगर जिला के कुछ गाँवो में छिटपुट घटनाएँ हुईं, पर कलोल (उत्तर गुजरात) के पास छत्राल, खात्रज और कड़ी के आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में ठाकोर सेना के लोगों ने अन्य प्रांतों के बंधुओं पर हमले किए, जिसके वीडियो भी बने और वायरल भी हुए, मीडिया ने भी उसे बार बार दिखाया.

प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की. पुलिस ने कुल 533 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें कांग्रेस के 22 स्थानीय नेता भी शामिल हैं. अल्पेश ठाकोर पर पूरे मामले को भड़काने का आरोप लग रहा है, उनकी ठाकोर सेना के सोशल मीडिया संयोजक को भी पकड़ा गया है. अल्पेश ठाकोर स्वयं को ओबीसी नेता के रूप में उभारना चाहते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान भी चुनावी सभाओं में वह हमेशा अन्य प्रान्त के बंधुओं पर आपत्तिजनक बातें करते थे.

इसी बीच 10 अक्तूबर को युवा कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पलायन की एक झूठी फोटो ट्विट की गई, जिसे अभी तक भी हटाया नहीं गया है. जिस फोटो को पलायन के साथ जोड़कर ट्विट किया गया है, वो वर्ष 2012 की फोटो है. कहा जाए तो यह कांग्रेस की गुजराती समाज को बदनाम करने की साजिश है, वो कहना चाहती है कि गुजरात के लोग अन्य प्रांतों के लोगों को सहन नहीं कर रहे.

युवा कांग्रेस द्वारा वर्तमान घटनाक्रम को जोड़कर ट्विट की गई फोटो

वास्तविक फोटो बीबीसी की स्टोरी में

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सामाजिक संगठनों के प्रयास

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक मुकेश मलकान जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना को आधार बनाकर अंतिम कुछ दिनों से अन्य प्रान्त से आ कर बसे बंधुओं को लक्ष्य बनाकर हो रहे हमले उनको गुजरात छोड़ने पर मजबूर कर रहे हैं. यह कष्टदायक और निंदनीय है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करता है. प्रशासन से भी यह अनुरोध है कि गुजरात के सभी को समाहित करने वाली परंपरा को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हो और अन्य प्रान्त के लोगों के निवास और कार्यस्थल पर सुरक्षा उपलब्ध कराए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गुजरात की जनता और संघ के स्वयंसेवकों से भी अपील करता है कि अफवाह और गलत समाचारों से विचलित ना होकर जहाँ भी हमारे परप्रांतीय जो अपने ही देश के बंधु हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे.

10 अक्तूबर बुधवार को कर्णावती में सामाजिक सद्भाव समिति और संघ के स्वयंसेवकों ने मिलकर पांच दर्जन से अधिक स्थानों पर राष्ट्र जोड़ो अभियान चलाया, इसके तहत शाम ६ से ७ बजे तक चौराहों पर सामाजिक सद्भाव का संदेश दिया. धीरे धीरे सब सामान्य हो रहा है और गुजरात से बाहर जाने वालों की संख्या कम हुई है, और अब जाने वाले लोग वापिस भी आ रहे हैं.

गांधीनगर में संगठनों के कार्यकर्ता दिन से ही सक्रिय हैं, उन्होंने आसपास के गाँव में संपर्क कर गांव के सरपंच और अन्य प्रमुख लोगों से बात की और कई स्थानों पर अन्य प्रान्त के लोगों का इन प्रमुख लोगों के साथ सम्पर्क कराया.

कर्णावती (अहमदाबाद) के पास साणंद तहसील जहाँ गुजरात का एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जो चांगोदर  गाँव के आसपास है. वहां सरस्वती नगर और कृष्णनगर में करीब 10 हजार से भी अधिक अन्य प्रान्त के लोग रहते हैं. जिनमें बिहार और उत्तरप्रदेश के बंधु शामिल हैं. जैसे ही अन्य प्रांत के बंधुओं पर हमले की बातें सोशल मीडिया पर वायरल हुई, इन क्षेत्रों में भी भय का माहोल बन गया. साणंद तहसील में भी सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सरपंच, सामाजिक समरसता समिति के कार्यकर्ता, सरस्वती नगर और कृष्णनगर में लोगों, उद्योगपतियों से संपर्क कर योजना बनाई और आसपास के क्षेत्र में अन्य प्रान्त के निवासियों व स्थानीय लोगों से बात कर विषय समझाया. पास के गाँव से कुछ लोग हमले के उद्देश्य से आए थे, उनको भी समझाया. परिणामस्वरूप सिर्फ शुरूआती हड़बड़ी में 200 लोग क्षेत्र छोड़कर गए थे, उसके बाद कोई पलायन नहीं हुआ.

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × five =