जयपुर में जगह जगह पर मनाई गई वीर सावरकर जयंती

 क्रांतिवीर स्मृति संस्थान जयपुर

क्रांतिवीर स्मृति संस्थान जयपुर

जयपुर (विसंकें)।राजस्थान की राजधानी जयपुर में आज सावरकर जयंती के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस दौरान वीर सावरकर द्वारा देश की आजादी के लिए किये गये संघर्ष को याद करते हुए लोगों ने श्रद्धासुमन- पुष्पांजलि अर्पित किया।

क्रांतिवीर स्मृति संस्थान द्वारा राजस्थान विश्वविद्यालय के विधि महाविद्यालय सभागार में तथा अग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय केशव विद्यापीठ जयपुर की ओर से अंडमान के क्रांति योद्धा वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया वहीं दूसरी ओर स्वदेशी जागरण मंच जयपुर द्वारा ढेर के बालाजी सियाराम बग़ीची में वीर सावरकर जयंती मनाई गयी।

स्वदेशी जागरण मंच जयपुर के सम्पर्क प्रमुख कुमार आयुष ने कहा कि वीर सावरकर बचपन से हीं देशभक्त ,क्रांतिकारी विचारी थे । उन्होंने देवी माँ का प्रत्यक्ष अनुभव कर यह प्रतिज्ञा ली की -देश की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र युद्ध में चापेकर बंधु की तरह मर जाऊँगा और शिवाजी की तरह स्वतंत्र हिंदू राज्य की स्थापना करूँगा।

उनके साहस को देख ब्रिटिश सरकार भय खाती थी। उन्हें रास्ते से हटाने के लिए काले पानी की सजा दी और बीच रास्ते में समुद्र में फेंक दिया। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और तैरकर निकलने में सफल रहे। उन्होंने सेलुलर जेल में 10साल सज़ा के रूप में निकाले जिसने 3मिनट में व्यक्ति पसीने से लथ-पथ हो जाता था।

वीर सावरकर जी के तीन पत्र जिनकी आज कल चर्चा चल रही है -उसके प्रथम पत्र का उदेशय यही था की मार्ग कोईसा भी हो स्वाधीनता मिलनी चाइए “, दूसरे पत्र में उन्होंने उनके आज़ाद होने के बाद राजनीतिक गतिविधीयो में भाग ना लेते हुए सामाजिक कार्यों में रुचि प्रकट कीं व शिवाजी -अफ़ज़ल खा के मित्रता पत्र का वर्णन किया जिसमें अफ़ज़ल खा ने शिवाजी को धोखा दिया।

कुमार आयुष ने ये भी कहा की सावरकर जी सामाजिक समरस्ता के प्रतीक भी माने जाते है क्यूँकि आज़ादी के बाद जिस प्रकार से उन्होंने * पतित पावन मंदिर * बनवाया जिसमें सभी जाती के लोग बिना रोक टोक के आ जा सकते थे।

सावरकर के जीवन युवाओं को सीख लेनी चाहिए और उन्हें देश के लिए सर्वत्र न्यौछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

इस अवसर पर हरिशंकर दास जी महाराज “वेदान्ती” ने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर देश के महान क्रांतिकारी थे। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने व्यक्तिगत हितों की तिलांजलि दे दी। भारत को अंग्रेजी हुकुमूत से मुक्त कराने के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।

वीर नहीं महावीर सावरकर

वीर सावरकर जयन्ती के उपलक्ष में श्री अग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय केशव विद्यापीठ जयपुर में आयोजित समारोह में मुख्य वक्ता निधीश गोयल ने अपने उद्बोधन में कहा कि सावरकर जैसे देशभक्त पर हमें गर्व है जिन्होंने जीवनपर्यन्त अनेक यातनाएँ सहकर भी देश की आजादी और स्वाभिमान बनाए रखने के लिए प्रतिक्षण अपना योगदान दिया। जो लोग सावरकर जैसे देशभक्त के वीर होने पर संदेह रखते हैं। उन्हें एक बार सावरकर की अमरगाथा अवश्य पढ़नी चाहिए, तो वे जान पाएँगे की सावरकर वीर नहीं महावीर थे। आपने अपने उद्बोधन में वीर सावरकर के जीवन से जुड़े अनेक प्रसंगों का वर्णन करते हुए उनकी वीरता और देशभक्ति के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम में उपस्थित केशव विद्यापीठ समिति के सचिव ओ.पी.गुप्ता ने देशभक्तों का स्मरण किए जाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि वीर सावरकर जैसे बलिदानी हमारे लिए रत्न समान हैं, ऐसे वीर पुरुषों के प्रयासों से ही हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। किन्तु बड़े दुःख का विषय है कि इनका स्मरण जिस वृहद स्तर पर किया जाना चाहिए, उसका अभाव है।

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