तपस्या की गुप्त सरस्वती जारी रहे और उसी विकास के विचार को लेकर आगे आने वाली पीढी तैयार होती रहे- मा. मोहन भागवत जी

तपस्या की गुप्त सरस्वती जारी रहे और उसी विकास के विचार को लेकर आगे आने वाली पीढी तैयार होती रहे- मा. मोहन भागवत जी

विसके जयपुर।

मध्य प्रदेश के चित्रकूट में आयोजित चार दिवसीय विशाल ग्रामोदय मेले का समापन 27 फरवरी 2017 राष्ट्रऋषि नानाजी की सातवी
पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित जन संवाद कार्यक्रम के साथ हुआ ।सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि पहले से ही चित्रकूट एक तीर्थ है ही, आधुनिक समय में भी नानाजी की तपस्या और आप सबके उद्यम से आधुनिक युग में भी यह तीर्थ बन गया है। विकास सब चाहते हैं यह पहले तय करना पड़ता है। विकास का नाम सबका एक सा नहीं होता। जब हम भारत के विकास की बात करते हैं तो विकास की दृष्टि लेकर विचार करना चाहिये। हमारे यहॉ धन का महत्व दान है और शक्ति का सुरक्षा में है। सरकार की नीतियॉ बहुत परिणाम करती हैं। लेकिन उसको बनाने वाला आम नागरिक है। सरकार पहले भी थी और आज भी है। योजनायें पहले भी थी और आज भी है। लेकिन नानाजी ने सबको जगाने का काम किया है। भगवान की कृपा भी तब मिलती है जब हम कुछ करते हैं। नानाजी ने भी यही किया कि ग्राम समितियॉ बनाई, समाज के सहयोग से समाज का काम खडा किया, लोग कहते हैं हम समाज का काम करते हैं। समाज क्या है। हम ही समाज हैं। हम अपना काम करते हैं। नानाजी कहते थे कि सामाजिक कार्यकर्ता को अपना काम नहीं करना बल्कि अपनो के लिये करना है। जो काम तीन-तीन पंचवर्षीय में नहीं हो पाया वह समाज शिल्पी दंपत्ति के माध्यम से तीन साल में हो गया। भागवत जी ने कहा कि शासन की नीति, प्रशासन की कृति और समाज का चलना ये तीनों समाज के विकास स्तम्भ यहॉ पर खडे है जिसकी वजह से चित्रकूट में नंन्दन वन खड़ा हो गया है। तपस्या की गुप्त सरस्वती जारी रहे और उसी विकास के विचार को लेकर आगे आने वाली पीढी तैयार होती रहे।

 

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