नागालैंड का सीशुनू गांव हुआ प्लास्टिक, कचरा व तम्बाकू मुक्त

हम प्रतिदिन प्लास्टिक व पॉलीथीन का उपयोग करते हैं. यह पर्यावरण के साथ ही हमारे स्वास्थ्य के लिये भी नुकसानदायक है. हम प्लास्टिक व पॉलीथीन का कोई विकल्प भी नहीं ढूंढ पाए हैं. पॉलिथीन शहर में गन्दगी का प्रमुख स्रोत होने के साथ-साथ जीव-जंतुओं के लिये भी घातक है. कई बार पशु खाने के चक्कर में पॉलीथीन के बैग को भी निगल लेते हैं जो इनके लिये जानलेवा बन जाता है.

पॉलीथीन व प्लास्टिक कचरा पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाता है. यह मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी प्रभावित करता है. इसका पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. नालों व नालियों में भी प्लास्टिक कचरा इकट्ठा होने से निकासी व्यवस्था प्रभावित होती है. नदियों, नहरों की स्थिति को लेकर भी हम भलीभांति परिचित हैं. इन समस्याओं को दखते-समझते हुए भी हम पॉलीबैग का निरंतर उपयोग कर रहे हैं. पॉलीथीन के दुष्प्रभावों को देखते हुए हिमाचल, महाराष्ट्र कुछ अन्य प्रांतों में पॉलीथीन को प्रतिबंधित किया गया है.

ऐसे में नागालैंड के एक गांव ने सबके समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है. सीशुनू गांव को पॉलीथीन- प्लास्टिक के साथ ही तम्बाकू व कचरा मुक्त घोषित किया गया है. छोटा सा गांव सीशुनू नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) के तहत निर्मित एक सड़क और पगडंडी का कुछ दिन पहले औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया था. उद्घाटन डीएसडीए कोहिमा के परियोजना निदेशक सह डीपीसी, अलेमला चिशी ने किया था. इसी कार्यक्रम में गाँव को तंबाकू, प्लास्टिक और कचरा मुक्त गांव के रूप में घोषित किया गया था.

सरकारी अधिकारियों ने कहा कि गांव परिसर के अंदर कोई तम्बाकू उत्पाद बेचा नहीं जाएगा. इसके अलावा शैक्षिक संस्थानों, कार्यालयों, सामुदायिक हॉल, बस स्टॉप और पुस्तकालय, अन्य प्रमुख सार्वजनिक संरचनाओं में धूम्रपान करने और तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. यह सुनिश्चित करने के लिए कि तम्बाकू नियंत्रण कानून का पालन हो रहा है या नहीं, एक समिति का गठन किया गया. यह प्रत्येक तिमाही में एक बार बैठक कर नियंत्रण की स्थिति पर चर्चा करे और सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंडित करे.

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सिशुनू के निवासियों को बधाई दी क्योंकि गांव ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत दिए गए धन के माध्यम से सभी तीन उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया.

मंत्रालय ने एक ट्विट के माध्यम से कहा –

“महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत सिशुनू गांव टोबाको, प्लास्टिक और अपशिष्ट मुक्त हो गया. हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है.”

अब गांव में किसी भी प्रकार के कचरे को फैंकने पर, विशेष रूप से प्लास्टिक को सार्वजनिक स्थानों में फैंकने पर गांव परिषद ने प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना सहित अन्य दंड के नियम बनाए हैं.

नागालैंड सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट से मुक्त करने के लिए दिसंबर 2018 के लिए समय सीमा निर्धारित की थी. अपशिष्ट प्लास्टिक के डिस्पोजल के लिए नवंबर 2015 में, नागालैंड राज्य सरकार ने सभी सड़क ठेकेदारों के लिए सड़क निर्माण के लिए बिटुमिनस मिश्रणों के साथ प्लास्टिक कचरे का उपयोग करना अनिवार्य बना दिया. यह उपाय प्लास्टिक अपशिष्ट निपटान की बढ़ती समस्या को दूर करने में काफी उपयोगी माना जा रहा है.

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