पिता को खोने के बाद भी नहीं टूटा विस्मया का हौसला 10 वीं में किया टॉप

वामपंथी गुंडों ने विस्मया के पिता की दो साल पहले निर्ममता से हत्या कर दी थी लेकिन विस्मया ने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया आज 10वीं की बोर्ड परीक्षा में विस्मया ने हर विषय में ए़+ ग्रेड लाकर साबित कर दिया कि हौसला हो तो कुछ भी कर पाना संभव है.

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विस्मया को सम्मानित करते भाजयुमो के सचिव केवी अरुण कुमार

सीबीएसई बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में देश में लाखों छात्र—छत्राओं ने अच्छे अंक लाकर अपने मां—बाप का नाम रोशन किया है. इनमें बहुत से ऐसी भी होंगे जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी पढ़ाई की और अच्छे अंक पाएं. ऐसी ही दो छात्राएं केरल की हैं जिन्होंने बेहद विषम परिस्थितियों में पढ़ाई की जबकि मात्र दो साल पहले वामपंथी गुंडों ने उनके पिताओं की हत्या कर दी थी बावजूद उसके दोनों ने हार नहीं मानी और हर विषय में ए़+ ग्रेड लाकर दिखा दिया कि परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हों लेकिन यदि हौसला हो तो कुछ भी कर पाना संभव है.
केरल के कन्नूर जिले की रहने वाली विस्मया और पल्लकड़ जिले के काझीकोड जिले की रहने वाली अश्वती कृष्णा ऐसी ही दो छात्राएं हैं जिनके पिताओं को वामपंथी गुंडों से मार डाला लेकिन दोनों छात्राओं ने हार नहीं मानी और 10वीं की परीक्षा में ए़+ ग्रेड लाकर बता दिया कि हौसलों की उड़ान के आगे कुछ भी संभव है.
विस्मया जब आठवीं कक्षा में थीं तो उसके पिता एम. ए. संतोष की सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीएम के लोगों ने इस वजह से बर्बर हत्या कर दी थी क्योंकि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता थे। वह कन्नूर जिले के पिनराई पंचायत के बीजेपी के बूथ कमेटी के अध्यक्ष थे। उनकी गलती यह थी कि उन्होंने सीपीएम उम्मीदवार के खिलाफ पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। वे चुनाव तो हार गए लेकिन दूसरे नंबर पर रहे। स्थानीय सीपीएम नेताओं को लगा कि भविष्य में संतोष उनके लिए राजनैतिक चुनौती बन सकता है। फिर क्या था, संतोष की हत्या का फरमान जारी हो गया। आरोप के मुताबिक, 18 जनवरी, 2017 को जब वे घर पर अकेले थे तो सीपीएम के लोगों ने उन पर हमला कर दिया और बर्बरता से उनकी हतया कर दी. इसी तरह अश्वती के पिता राधाकृष्णन की भी वामपंथी गुंडों ने बर्बरता से हत्या कर दी थी. जब विस्मया के पिता की हत्या हुई थी तो उसने एक कविता लिखी थी.
Have u killed my father
The god who I woke up to every morning?
Have u killed my love
The pillar of my life?
Have u killed my father

इस कविता को लिखने के बाद विस्मया वामपंथी हिंसा से पीड़ित सभी परिवारों का चेहरा बन गई थी. पिता की हत्या के बाद भी विस्मया टूटी नहीं. परिस्थितियां विषम थी लेकिन विस्मया ने हौसला बनाए रखा। विस्मया की मां ने अपने गांव में ही छोटे से खेत में खेती कर बेटी को आगे पढ़ाया. विस्मया का कहना है कि वह आगे विज्ञान विषयों के साथ आगे की पढ़ाई करेगी. वह आईएएस अफसर बनना चाहती हैं. उसका इकलौता भाई दिल्ली में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है. विस्मया का दसवीं का परिणाम आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह और में भाजपा जनता पार्टी युवा मोर्चा के सचिव केवी अरुण कुमार उसके घर पहुंचे और उसे सम्मानित कर उसका हौसला बढ़ाया.

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