जयपुर, 29 मई।
”यक्ष ने धर्मराज युद्धिष्टर से प्रश्न किया कि इस श्रृष्टी का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है। तब युद्धिष्टर ने जवाब दिया कि मरना सबको है मगर मरना कोई नहीं चाहता, पानी सबको चाहिए मगर इसके संरक्षण के उपाय कोई नहीं करना चाहता। हमारी विकास की अवधारणाएं बदली है अब पानी की बोतल-कैन खरीदने को विकास समझने लगे हैं।” ऐसा कहना था अपना संस्थान के राजस्थान क्षेत्र के सचिव विनोद मेलाना का। वे आदर्श विद्या मंदिर मानसरोवर में आयोजित पर्यावरण संरक्षण विचार संगोष्ठी में अपना मत रख रहे थे। उन्होंने बताया कि खेती में से सेवा भाव एकदम खत्म कर उसे धंधा बना दिया है। खेती में हम एक दाना डालकर सौ दाने प्राप्त करते हैं, मगर फिर भी यह प्रोफिट ओन लोस हो गया है और लोस का काम हम करना नहीं चाहते हैं।
विनोद मेलाना ने बताया कि एक पेड़ की औसत आयु पचास वर्ष साल होती है और उस एक पेड़ से हमें 75 लाख की आय प्राप्त होती है। पेड़ हमसे अपने जीवन काल में महज 10% लेता है जबकि 90% वे हमें देते हैं। केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो शत प्रतिशत लेता है। पर्यावरण संरक्षण का भाव पवित्र होता है, ये हमें सकारात्मक ऊर्जा देता है। अगर हम कोई वृक्षारोपण का कार्य करते हैं तो किसी भी धर्म का व्यक्ति आपकी सहायता करने को तैयार हो जाता है। उन्होंने बताया कि 2014 में बीस हजार वृक्षारोपण का कार्य किया, जिसमें सहयोग करने वाले 40% स्वयंसेवक थे शेष बंधु पर्यावरण प्रेमी थे। इस पवित्र कार्य की पूर्ति हेतु प्रतिस्पर्धा नहीं अनुस्पर्धा का भाव लाना होगा।
विनोद मेलाना ने बताया कि पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर अच्छी संख्या में वृक्षारोपण का कार्य किया जाएगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि उदयपुर की पेसिफिक विश्वविद्यालय ने एक शोध कर बताया कि एक किमी के रेडियम क्षेत्र में हम यदि वृक्षारोपण करते हैं तो उसी परिधी में पक्षी अपना डेरा बना कर रहते हैं।
विशिष्ट अतिथि के नाते कार्यक्रम में उपस्थित हुए सामाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्री, राजस्थान सरकार अरूण चतुर्वेदी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जल संरक्षण की चर्चा हो रही थी, जब जल संरक्षण की बात होती है तो वृक्षों की जरूरत होती है। हम चाहते हैं कि हमें अच्छी प्राणवायु चाहिए, पर हम पेड़ नहीं लगाना चाहते। चतुर्वेदी ने कार्यक्रम में आए आगंतुकों से आग्रह किया कि प्रत्येक परिवार अपने जीवन के साथ एक वृक्ष जोड़ दें। वृक्ष के व्यस्क होने तक उसका लालन-पालन अपने बच्चे सा करने की जिम्मेदारी उठाने की बात कही।