भारत ने आज ही किया था अंतरिक्ष युग में प्रवेश

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है. भारत ने 44 वर्ष पूर्व आज ही के दिन स्वदेश में निर्मित पहला उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ा था.

19 अप्रैल 1975 को भारत अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च कर अंतरिक्ष युग में दाखिल हुआ था. यह भारत का पहला वैज्ञानिक उपग्रह था. 360 किलोग्राम वजनी आर्यभट्ट को सोवियत संघ के इंटर कॉसमॉस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा था. पिछले 4 दशकों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सगंठन, इसरो ने 70 से ज्यादा उपग्रह वैज्ञानिक और तकनीकी एप्लिकेशन के लिए अंतरिक्ष में भेजे हैं. भारत के पहले उपग्रह का नाम प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. आर्यभट्ट उन पहले व्यक्तियों में से थे, जिन्होंने बीजगणित का प्रयोग किया था. इसके अलावा उन्होंने पाई का सही मान 3.1416 निकाला था.

इस उपग्रह का निर्माण इसरो ने कृत्रिम उपग्रहों के निर्माण और अंतरिक्ष में उनके संचालन में अनुभव पाने के मकसद से किया था. इसका उद्देश्य ये भी था कि भविष्य में भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके. आर्यभट्ट उपग्रह का मुख्य उद्देश्य एक्स रे, खगोल विद्या, वायुविज्ञान और सौर भौतिकी से जुड़े प्रयोग करना था. अपने परिक्रमा पथ पर चार दिन बिताने के बाद आर्यभट्ट में बिजली आपूर्ति बंद होने के कारण सभी प्रयोग रोक दिए गए थे. आर्यभट्ट को अंतरिक्ष में भेजने के बाद इसरो ने कभी पीछे पलटकर नहीं देखा. पिछले साल ही मंगल ग्रह के लिए मिशन लॉन्च किया है. मंगलयान के इसी साल सितंबर में मंगल की कक्षा में प्रवेश करने की आशा है.

हिन्दी विवेक

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