विविधता में एकता हमारे देश का परिचय है, इसे जोड़कर रखने का मंत्र “हिंदुत्व” है-भागवत

मोहन भागवत ने अनुगुल में संघ के दो दिवसीय प्रवासी कार्यकर्ता सम्मेलन में सम्बोधित करते हुए

मोहन भागवत ने अनुगुल में संघ के दो दिवसीय प्रवासी कार्यकर्ता सम्मेलन में सम्बोधित करते हुए

पूज्य सरसंघचालक जी व अन्य

पूज्य सरसंघचालक जी व अन्य

विसंके जयपुर।  भारत एक चिरंजीवी राष्ट्र है। ¨हिंदुत्व हमारी संस्कृति है। यह सर्वपुरातन संस्कृति हजारों साल से भारत वर्ष को एक सूत्र में पिरोये हुए है, मजबूती प्रदान कर रहा है। सभी धर्म, वर्ण, जाति व विचार को सम्मान देना तथा एकता के सूत्र में बांधे रखना ही ¨हिंदुत्व” है। विविधता में एकता हमारे देश का परिचय है जबकि इसे जोड़कर रखने का मंत्र ¨हिंदुत्व” है। सनातनकाल से ¨हिंदुत्व इसी तरह से जोड़ते हुए आ रहा है। दूसरी तरफ रोम एवं ग्रीस जैसी समृद्ध कही जाने वाली सभ्यता आज विलुप्त सी हो गई है।

मुगल एवं अंग्रेजों ने सैकड़ों साल तक भारतीय संस्कृति को दमन करने के बावजूद ¨हिंदुत्व” अपनी मौलिकता को बचाए हुए है। हम अपनी संस्कृति को बचाए रखने में सफल हुए हैं। भारतीय संस्कृति की महानता एवं उदारता ही इसे लोकप्रिय बनाती है।

पूरी दुनिया में इस समय अशांति का वातावरण फैला हुआ है और पूरी दुनिया शांति के लिए भारत की और देख रही है। पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांधने की ताकत भारत में है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  के  सरसंघचालक मोहन भागवत ने अनुगुल में संघ के दो दिवसीय प्रवासी कार्यकर्ता सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता सोमवार को अपने संबोधन में कहीं।

कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसवेक

कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसवेक

प्रदर्शन करते हुए स्वयंसेवक

प्रदर्शन करते हुए स्वयंसेवक

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे पुरातन देश है। अतीत में यह था, वर्तमान में है और सृष्टि के खत्म होने तक रहेगा। भारत महान संस्कृति हिंदुत्व पर आधारित है। ऐसे में यह उदार सभ्यता एवं संस्कृति सभी को अच्छी लगती है। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले सभी भारतीय को हिंदुत्व ही प्रभावित कर रखे हुए है।

धर्मनिरपेक्षता के कारण ही आज भारत में सभी को अपने-अपने धर्म का पालन करने का समान अधिकार मिला हुआ है। विश्व में केवल एकमात्र देश भारत ही है जहां पर सभी धर्म संप्रदाय के लोग सुरक्षित ढंग से रह रहे हैं। अखंड भारत से अलग हुए अन्य देश एवं संप्रदाय के लोग अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। भारत एवं भारतीयता से अलग होने पर ही उन्हें इस तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सनातन धर्म काल के समय में भारत विश्व का गुरु था और एक बार फिर वही समय आ रहा है।

कार्यक्रम में घोष दल

कार्यक्रम में घोष दल

विभिन्न देश मतभेद होने से विश्व युद्ध की ओर आगे बढ़ रहे हैं। इससे बचने के लिए पूरी दुनिया भारत पर भरोसा कर रही है। इसके लिए ¨हिंदुस्तान में रहने वाले हिंदुओं को एकत्र होना होगा”। हिंदुत्व सनातन धर्म के अधीन रहने वाले सभी भारतीय को एक होना होगा। वर्तमान भारत के साथ अखंड भारत को आगे बढ़ाने होगा, ताकि विश्व में शांति स्थापित हो सके।

मुख्य अतिथि ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि हमारी संस्कृति नास्तिक में भी आस्तिकता को खोजती है।

समारोह में संघ के पूर्वक्षेत्र संघ चालक अजय कुमार नंदी, ओडिशा पूर्व प्रांत के संघ चालक समीर कुमार महांती प्रमुख समेत केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान, जुएल ओराम के साथ राज्य भाजपा के अध्यक्ष बसंत कुमार पंडा, पूर्व सांसद रुद्रनारायण पाणी आदि उपस्थित थे। अतिथि परिचय एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ.अनिल कुमार मिश्र ने दिया।

आभार विसंके भुवनेश्वर

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