महाराणा प्रताप इण्टर कॉलेज परिसर गोलघर, गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरखपुर महानगर के स्वयंसेवक समागम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख सुनील कुलकर्णी जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 93 वर्षों से अनवरत चला आ रहा है. इस कालखंड में संगठन ने अनेकों उतार-चढ़ाव देखे.
डॉ. हेडगेवार जी ने जब संघ की स्थापना की थी, तब समाज का एक बड़ा वर्ग अक्सर उनका उपहास उड़ाता था. परंतु कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय से 1946 तक आते आते संघ की शाखाएं संपूर्ण भारत में फैल गईं. जो लोग कभी संघ का उपहास उड़ाया करते थे, संघ की उपेक्षा करते थे, उन्हीं लोगों ने 1948 में संघ की बढ़ती शक्ति को देखकर संघ पर गांधी जी की हत्या का निराधार आरोप लगा संघ को प्रतिबंधित किया. प्रतिबंधों व कठिनाइयों के पश्चात भी संघ कंचन बनकर निकला, जिसके फलस्वरूप समाज में संघ की स्वीकार्यता और भी बढ़ गई.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जिस लक्ष्य को लेकर अपनी यात्रा आरंभ की वो आज भी चल रही है. इस काल खण्ड में अनेकों संगठन इस धरती पर अवतरित हुए और विलीन हो गए तथा संगठन खंड खंड हो गए. लेकिन संघ 93 वर्षों से चट्टान की भाँति अटल बना रहा. आज समाज में स्वयंसेवक के सेवा कार्यों की वजह से संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है, जिसके चलते हम स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है कि हम समाज की अपेक्षाओं पर खरे उतरें. संघ कार्य का सूत्र है अपरिचित को परिचित बनाना, परिचित को स्वयंसेवक और स्वयंसेवक को कार्यकर्ता बनाना. संघ इसी सिद्धांत पर कार्य करता है. संघ का कार्य समाज को नई दिशा देने के साथ ही समाज में व्याप्त विसंगतियों, कुरीतियों को दूर करना और अपने सकारात्मक कार्यों से विरोधियों को भी अपना बनाना है.
संघ एक बहुआयामी संगठन है जो समाज के हर क्षेत्र में अपने समवैचारिक संगठनों (शाखाओं) के माध्यम से व्याप्त है. आज जिस प्रकार से सम्पूर्ण विश्व भारत की ओर आशा से देख रहा है, ठीक उसी प्रकार से भारतीय समाज संघ को देखता है.
संघ के बारे में एक कहावत है “Time is a price of RSS work.” समाज के हमारे जीवन के चार आयाम हैं – व्यक्तिगत, परिवार, कार्यक्षेत्र एवं समाज. इन चारों आयाम को समय देते हुए इनमें से कुछ घंटे राष्ट्र और समाज (संघकार्य) हेतु प्रत्येक व्यक्ति को देना चाहिए, जिससे हिन्दू समाज की सर्वांगीण उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया जा सके. आज हम सभी स्वयंसेवकों को हर प्रकार के संकटों में संयम बरतते हुए, बिना विचलित हुए संघ कार्य करना होगा. वाराह अवतार में जिस प्रकार भगवान विष्णु ने पृथ्वी का भार उठाते हुए पृथ्वीलोक की रक्षा की, ठीक उसी प्रकार से संघ को भी समाज को सभी बाधाओं से बचाते हुए समाज को आगे लेकर जाना है. संघ समाज में अपने अनुशासन एवं कार्यों की वजह से जाना जाता है, इस वजह से स्वयंसेवकों में कार्यकुशलता के साथ अनुशासन का भी सामंजस्य हो.
सुनील जी ने कहा कि सत्ता की प्राप्ति संघ का लक्ष्य नहीं है. संघ से कुछ पाने की लालसा रखने वाले को संघ से कोसों दूर रहना चाहिए. संघ में आने पर कुछ मिलने वाला नहीं. बल्कि समय पड़ने पर अपना सर्वस्व अर्पण भी करना पड़ सकता है. संघ का सिर्फ एक लक्ष्य है – ‘भरत वर्ष को पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन करना.’ संघ के 100 वर्ष पूर्ण होते होते हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करना है, जिस हेतु हम सभी स्वयंसेवकों को संघ कार्य के लिए अधिकाधिक समय देना होगा. प्रान्त संघचालक डॉ. पृथ्वीराज सिंह जी भी उपस्थित थे.