सामाजिक कार्य से ही समाज में परिवर्तन होगा – भय्याजी जोशी

mumbai-Bharat-vikas-parishad-Bhaiyya-ji-3-300x200राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र, धार्मिक क्षेत्र, आर्थिक क्षेत्र, शिक्षा और सत्ता, यह पांच बातें जब समाज में एकसाथ चलती हैं, तब ही समाज परिवर्तन होता है. ये पांच बातें, जब ठीक तरह से चलती हैं, तब समाज का उत्थान होता है. समाज में मूल्य, नैतिकता आवश्यक है और यह काम संस्थाओं पर निर्भर है. ऐसा मूल्यवान काम भारत विकास परिषद करती आई है. सामाजिक नेतृत्व संकुचित या अहंकारी वृत्ति का नहीं होना चाहिये. सब की विचारधारा एकसमान होनी चाहिये. जातियों के आधार पर विघटित हुआ समाज एक होना चाहिये. सामाजिक नेतृत्व मन से बड़ा होना चाहिये.

सरकार्यवाह जी ‘राष्ट्र निर्माण में समृद्ध वर्ग की रचनात्मक भूमिका’ विषय पर संबोधित कर रहे थे. दादर के स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक में भारत विकास परिषद, मुंबई और समस्त महाजन संस्था द्वारा संयुक्त रूप से विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था.

देश में परिवर्तन की आवश्यकता बताते हुए भयाजी जोशी ने कहा कि समाज में जागरण, दायित्व, कर्तव्य जैसी व्यवस्थाएँ हों तो उस समाज को कोई चुनौती नहीं दे सकता. समाज का मार्गदर्शन करने के लिए साधक होने चाहिये. अपनी क्षमता, ज्ञान, अध्ययन का सदुपयोग करना चाहिये. सकारात्मक दृष्टि से आए परिवर्तन से ही उत्थान होता है. दुर्बलों के सशक्तिकरण के लिये उसका उपयोग होना चाहिये.

सामाजिक क्षेत्र, धार्मिक क्षेत्र, आर्थिक क्षेत्र, शिक्षा और सत्ता इन क्षेत्रों में से किसी एक भी क्षेत्र में अगर गड़बड़ होती है तो समाज का अध:पतन होता है. हर एक क्षेत्र को सुयोग्य स्थिति में रखने के लिए उसका नेतृत्व उस क्षेत्र की सबसे बड़ी ताकत है. जब इन क्षेत्रों का सदुपयोग हुआ, तब हमने प्रगति की तथा जब इन व्यवस्थाओं का दुरुपयोग किया गया, तब हम पीछे चले गए. धर्म क्षेत्र में आज बड़ी चुनौती है और वो चुनौती पार करके हमें परिस्थिति सुधारनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि सामाजिक क्षेत्र को देखा जाए तो सबको मिलाकर समाज बनता है. समाज में तैयार हो रही संकुचित वृत्ति और मतभिन्नता वेदनादायक है. इसमें आज नेतृत्व की आवश्यकता है. हमारी भाषा, जात, धर्म के आधार पर हम भले अलग हों, फिर भी हमारी विचारधारा एक है, यह जान लेना चाहिए. हमारी नाल एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई है. आज कुछ समाज विरोधी शक्तियां इसमें बाधा डालने की कोशिश कर रही हैं. हमें मन से बड़े होने की आवश्यकता है. तथा करोड़ों लोगों को एकजुट करने की भी आवश्यकता है.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि हम परिश्रम करते हैं, परंतु उस परिश्रम से मिलने वाले मूल्य पर ही हमारा अधिकार रहता है. आर्थिक क्षेत्र में परिश्रम का महत्त्व है. देश का विचार करके हम सबको मिलकर योगदान देते रहना चाहिए. आज बहुत लोग अपनी विद्वत्ता का समाज में द्वेष फैलाने के लिए उपयोग करते हैं. मात्र समाज के सर्वांगीण विकास के लिए विद्वत्ता का उपयोग करना चाहिए.

कला क्षेत्र यह समाज का दिशादर्शक है. कलाकारों को समाज के उत्थान के लिए अपना योगदान देना चाहिए. सकारात्मक कला ही समाज को योग्य दिशा में ले जाती है. अपना देश ही अपनी माता है, यह हम सबकी भूमिका है. जब हम इसका विचार करते हैं, तब ही हम भारत माता की जयघोष करते हैं. हम सब इस भारतमाता के पुत्र हैं, यह ध्यान में रखना चाहिए. हम सब इस देश के एक घटक हैं.

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