—धौलपुर में अखण्ड भारत विषयक विचार गोष्ठी
विसंकेजयपुर
धौलपुर, 15 अगस्त। अंग्रेजों के आगमन के साथ ही भारत को छोटे—छोटे भागों में पृथक करने का प्रयास होने लगे थे और अंग्रेज अपनी योजना में सफल हुए। उन्होंने भारत को भौगोलिक ईकाई मानते हुए इसके विभाजन को सही ठहराया। वे 1911 में बंगाल का विभाजन करने में तो पूर्ण सफल नहीं हो पाये लेकिन 1947 में अंग्रेजों ने फूट डालकर भारत का विभाजन कर दिया। यह कहना है समाजसेवी एवं लेखक श्री सुभाष जी कौशिक का। वे सोमवार को रा.स्वयंसेवक संघ, धौलपुर की ओर से स्थानीय भार्गव वाटिका में आयोजित ‘अखण्ड भारत’ विषयक विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
श्री कौशिक जी ने कहा कि जिस प्रकार वियतनाम की स्थापना हुई और जर्मनी का एकीकरण हुआ उसी प्रकार भारत से पृथक हुए पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, म्याम्यार, तिब्बत का भारत में विलय संभव है। उन्होंने अखण्ड भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए न केवल सकारात्मक दृष्टिकोण रखने बल्कि इस धारणा पर अडिंग रहने की सोच विकसित करने का आग्रह भी किया।
इतिहासकार श्री अरविन्द शर्मा ने कहा कि अखण्ड भारत की संकल्पना सर्वप्रथम चाणक्य ने दी है और उन्होंने इसको करके दिखाया।
(हरिबाबुजी,विसंके धौलपुर सं.)