शिक्षा से बंचित मासूम हाथों ने थामी स्लेट

final_bstSnapshot_826901 —झोटवाडा औद्योगिक क्षेत्र स्थित सेवा बस्ती
—रोज दो घंटे संचालित संस्कार केन्द्र सेवा बस्ती में फैला रहा है शिक्षा चेतना
—जागृत अभिभावक अब बच्चों को चाहते हैं पढाना
विसंकेजयपुर
जयपुर, 25 जून। कभी गंदगी में भविष्य तलासनेवाले मासूम हाथ आज स्लेट पर मोती से अक्षर लिख रहे हैं। ये बच्चें तब पढना—लिखना तो दूर समय पर नहा भी नहीं पाते थे आज वे साफ—सुथरे कपडे पहनकर अक्षर ज्ञान ले रहे हैं। यह दृश्य कहीं और का नहीं बल्कि झोटवाडा औद्योगिक क्षेत्र की थाना रोड स्थित सेवा बस्ती का। जहां कभी शिक्षा से बंचित रहे दर्जनों बच्चें नियमिfinal_bstSnapshot_985651त शिक्षार्जन कर रहे हैं।
यह काम कर दिखाया है यहां संचालित संस्कार केन्द्र ने जो पिछले कई महीनों से चल रहा है। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने जब इन बच्चों को गंदगी में हाथ—पांव मारते देखा तो काफी दुखी हुए। कार्यकर्ताओं ने शिक्षा से बंचित इन बच्चों के लिए कुछ कर गुजरने की ठानी। उन्होंने रोज सायं दो घंटे सेवा बस्ती में संस्कार केन्द्र संचालित करने की योजना बनाई। योजना को धरातल पर उतारा गया। प्रारंभ में कार्यकर्ताओं को सेवा बस्ती के बच्चों को संस्कार केन्द्र तक लाने में काफी समस्या का सामना करना पडा। कुछ लोगों ने इस संस्कार केन्द्र का विरोध भी किया लेकिन समय निकलने के साथ सब सामान्य होता चला गया। नियमित संस्कार केन्द्र आने वाले बच्चों के व्यवहार में जब अंतर नजर आने लगा तो विरोधी भी सहायक होते चले गए। आज उनमें से अनेक समाज—बंधु संस्कार केन्द्र के संचालन में कार्यकर्ताओं की मदद कर रहे हैं। आधारभूत सुविधाओं से युक्त इस संस्कार केन्द्र में चार से बीस साल की आयु के करीब 40 बालक—बालिकाओं को हिन्दी, अंग्रेजी और ​गणित की निशुल्क शिक्षा दी जा रही है। केवल शिक्षा ही इस संस्कार का उद्देश्य है ऐसा नहीं हैं। यहां शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कारित करने का कार्य भी नियमित चल रहा है। रोज बच्चों को सरस्वती बंदना और गायत्री मंत्र बुलाया जाता है। जब गणेश जी की सामूहिक आरती होती है तो बालक आनन्दित हो उठते हैं। बच्चों को भारतीय धर्म—संस्कृति से जोडे. रखने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ भी कराया जाने लगा है।
संस्कार केन्द्र पर रोज दी जा रही दो घंटे की शिक्षा ने बच्चों और उनके परिवारजनों के मन में शिक्षा के प्रति जागृति पैदा करने का काम किया है। संबंधित परिजन अपने बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजना चाह रहे हैं।

गजानंद गुरु, जयपुर

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