पं.दीनदयाल जी के ‘बिखरे’ विचार होंगे संकलित

—एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली ने की पहल
—”दीनदयाल उपाध्याय:सम्पूर्ण वाड्.मय” का प्रकाशन सितम्बर माह तक
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विसंकेजयपुर
जयपुर, 7 जुलाई।
एकात्म मानवदर्शन को जानने—समझनेवालों के लिए अच्छी खबर है। राजनीति में संस्कृति के राजदूत एवं एकात्म मानवदर्शन के प्रणेता पं.दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानवदर्शन पर लिखे एवं बोले गए विचार संकलित जा रहे हैं। यह प्रयास एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली की ओर से शुरू हो चुके हैं।
एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली का कहना है कि साम्यवाद और पूंजीवाद के किले ढहने के बाद देश में दीनदयाल जी द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन सिद्धांत का अध्ययन करनेवालों लोगों की संख्या बढी है। देश में वर्तमान राजनीतिक वातावरण के संदर्भ में उनके विचारों को जानने की प्रबल इच्छा विदेशों तक पहुंची है। उपाध्याय जी के एकात्म मानवदर्शन पर लिखे और बोले गए विचार अभी इधर—उधर बिखरे हुए है। उनके विचार सहजता से पाठकों को पढने को मिल जाए इस उद्ददेश्य से ‘दीनदयाल उपाध्याय:सम्पूर्ण वाड्.मय’ की रचना हिन्दी में की जा रही है। यह पन्द्रह खंडों में संकलित किया जाएगा। प्रकाशन कार्य 25 सितम्बर तक पूरा कर लिया जाएगा।
अंग्रेजी में भी प्रकाशन
‘दीनदयाल उपाध्याय:सम्पूर्ण वाड्.मय’ अभी बाजार में पहुंचा भी नहीं कि बुकिंग शुरू हो चुकी है। बुकिंग करानेवालों में भारतीयों के साथ काफी संख्या में विदेशी भी है। उनकी मांग को देखते हुए अगले साल इसका अंग्रेजी भाषा में प्रकाशन किया जाएगा।
अभी बुक कराए
संभवत: प्रकाशन का विमोचन 25 सितम्बर को किया जाएगा। जिसका मूल्य छह हजार रूपये रखा गया है। अभी बुक कराने पर दो हजार की छूट मिल सकेगी। एक साथ 25 सैट खरीदने पर तीन हजार पांच रूपये प्रति सैट चुकाने होंगे। संबंधित सम्पूर्ण जानकारी 011—23210074 पर प्राप्त की जा सकती है।

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