नए साहित्यकारों पर भी शोध हो—श्री पराडकर

jpr4528344225465662-largeविसंकेजयपुर
अलवर, 17 जुलाई। नए साहित्यकारों पर शोध होना चाहिए क्योंकि पुराने साहित्यकारों पर पूर्व में जो शोध हुए है उनकी अदला—बदली कर शोध को पूरा किया जा रहा है। यह कहना है अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर का। वे रविवार को अलवर में आस्था साहित्य परिषद की ओर से आयोजित ‘बलवीरसिंह करूण के काव्य एक अध्ययन व काव्यपाठ आधारित सीडी विमोचन समारोह’ में मुख्य वक्त के रूप में बोल रहे थे।
श्री पराडकर ने कहा कि बाजारवाद के युग में वाट्सएप्प पर लिखी रचनाओं को साहित्य का दर्जा दिया जा रहा है। वह क्या हैं? इस बात को वाट्सएप के मर्मज्ञ ही तय करें। साहित्य परिषद के प्रदेशाध्यक्ष श्री अन्नाराम ने कहा कि अस्तित्ववाद व प्रयोगवाद के बाद अब बाजारवाद ने समाज में पुरूष व स्त्री के स्वरों को बदला है। इससे समाज का एकत्व विखंडित हो रहा है।
पाथेय कण के संपादक श्री कन्हैयालाल चतुर्वेदी ने कहा कि साहित्य ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है। समाज से उसका हमेशा सरोकार रहा है। इस अवसर पर कवि बलवीरसिंह करूण व डॉ.गुप्त राज ने भी विचार प्रकट किए। इस अवसर पर शोधग्रंथ बलवीर सिंह करूण का काव्य एक अध्ययन तथा कवि करूण के काव्यपाठ पर आधारित डीवीडी देश की माटी दे आवाज का विमोचन भी किया गया, साथ ही तीन साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × 3 =