‘समरसता संगम—2016’ की शुरूआत
जयपुर, 14 अक्टूबर। ‘समाज में सुरक्षा के लिए समरसता आवश्यक है समरसता के बिना समाज सुरक्षित नहीं है। ईश्वर ने ही सब सृष्टि की रचना की है। यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहासराव का। वे शुक्रवार को जामडोली में आयोजित ‘समरसता
संगम’ के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम प्रसिद्ध संत श्री रामानुजाचार्य की सहस्राब्दि, डॉ.भीमराव अम्बेडकर के 125वें जयंती वर्ष एवं पं.दीनदयाल उपाध्याय, संघ के तृतीय प.पू.सरसंघचालक बालासाहब देवरस के जन्म शताब्दी वर्ष पर विद्या भारतीय राजस्थान की ओर से किया जा रहा है। 16 अक्टूबर तकतीन दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में राजस्थान भर की सेवा बस्तियों में संचालित हो रहे संस्कारों केन्द्रों की समितियों के करीब आठ हजार कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए श्री सुहासराव ने कहा कि जिस प्रकार प्रकृति भिन्न भिन्न होते हुए भी एक रूप में दिखती है, वैसे ही समाज में समरसता दिखनी चाहिए। इसके लिए विद्या भारती संगठन सालों से कार्य कर रहा है। समाज में कुरूतियां जातिगत भेदभाव के कारण उत्पन्न होती है। इसे हमें हृदय से समझना होगा बुद्धि से नहीं। उन्होनें कहा की हमें जीवन में समरसता का अनुकरण करना चाहिए।
राष्ट्र ही सर्वोपरी हो—संत समाज
समारोह में पूज्य स्वामी सोमगिरी जी महाराज, शिवबाडी, बीकानेर ने कहा की भारतीय संस्कृति की आत्मा समरसमयी है। सारी सृष्टि की आत्मा है समरसता। हमारी दृष्टि जगत के प्रत्येक जीव के लिए समान है। उन्होनें कहा कि विदेशी शिक्षा पद्धति विषाक्त शिक्षा पद्धति है। इसमें बदलाव लाना होगा। भय और दण्ड द्वारा काम नहीं कराना चाहिए।
पूज्य डाॅ. राघवाचार्य जी महाराज, रेवासाधाम ने कहा की हम विषमता के विरोधी है, यह विदेशी मुगल आक्रांताओं की देन है। विद्या भारती विषमता के विष का शमन करने का काम कर रही है।
वाल्मीकि धाम उज्जैन से आये पूज्य उमेशनाथ महाराज ने कहा की भारत में समरता के बिना काम नहीं चलेगा। भगवान श्री राम ने भी सभी को साथ लेकर समरता का उदाहरण देते हुए। रावण जैसी आतंकी शक्तियों का नाश किया था। हमें भी साथ मिलकर देश में फैल रही आतंकी शक्तियों का नाश करना होगा, जो समरसता से ही सम्भव है। जाति सम्प्रदाय को छोडकर देश को जोडना होगा। राष्ट्र होगा तब ही जाति और सम्प्रदाय होगें। राष्ट्र ही सर्वोपरी हो।
समता से ही समरसता—गहलोत
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चन्द गहलोत ने कहा कि समता से ही समरसता आती है। समरसता में ही आनन्द की अनुभूति होती है और यही जीवन की कुंजी है। उन्होने कहा कि डाॅं.भीमराव 26 उपाधियां प्राप्त करने के बाद भी विदेशी आकर्षण को त्याग कर भारत के कल्याण के लिए कार्य करते रहे। गहलोत ने कहा कि समाज और देश के भले के लिए समरसता अत्यंत जरूरी है। उन्होनें यह भी कहा कि विद्या भारती संगठन समरसता का भाव देता है। देश के गौरव के लिए अच्छी शिक्षा की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अंत में संस्कार केन्द्र निर्देशिका नामक पुस्तिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।