स्वयंसेवक के अनुशासित आचरण से अन्य समाज भी प्रेरणा लेता है – डॉ. मोहन भागवत

जयपुर (विसंकें). रष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी मध्य क्षेत्र के प्रवास पर हैं. 20 फरवरी को सरसंघचालक जी ने इंदौर महानगर की सभी शाखाओं से आए गटनायकों व प्रवासी कार्यकर्ताओं की बैठक में भाग लिया. कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गटनायक का कार्य हम सभी निभा रहे हैं, यह हमारे तंत्र का एक मुख्य कार्य है. गटनायक स्वयंसेवकों के एक समूह का नायक है. वह स्वयंसेवकों के समूह का सूचना तंत्र का प्रमुख अंग है. शाखा में स्वयंसेवकों की उपस्थिति से लेकर अपने कार्य क्षेत्र में समाज जागरण समाज परिवर्तन का वह माध्यम है. स्वयंसेवक के अनुशासित, ईमानदार आचरण से अन्य समाज भी प्रेरणा लेता है.

उन्होंने गटनायकों से कार्य के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि गटनायक का कार्य भी तपस्या का कार्य है, सर्वप्रथम अपने आप को बदलना होता है. हमारा आचरण समाज के लिए प्रेरणा हो तो फिर समाज में भी उसे स्वीकार करते हैं. हमारी गटपद्धति स्वयंसिद्ध है. किसी भी प्राकृतिक घटना पर हमारे स्वयंसेवकों का पहुंचना, सेवा कार्य में लगना और लगातार कार्य पूर्ण होने तक एक दूसरे के सहयोग के लिए नए लोगों का उत्साह बनाए रखना, यह हमारी इस गट पद्धति की विशेषता है. गटनायक को अपने कार्य को पूर्ण प्रमाणिकता, ईमानदारी से पूर्ण करने की आवश्यकता है. उन्होंने संघ को एकजुट करने और राष्ट्र विरोधी ताकतों से सतर्क रहने को आग्रह किया. प्रत्येक कार्यकर्ता 25 लोगों को संघ से जोड़े. वह हमेशा नम्र व्यवहार रखें और अपनों की चिंता करने वाले हों. इसके लिए वह घर-घर, द्वार-द्वार, मैन टू मैन और फेस टू फेस संपर्क करें. जिस मोहल्ले में गटनायक रहता है, उसका पूरा मोहल्ला संघमय होना चाहिए. व्यक्तिगत जातिगत भेदभाव नहीं होना चाहिए. और यह प्रयास होना चाहिए कि अपने गट के स्वयंसेवक दो वर्षों में अपने गट के नायक बन जाएं.

कार्यक्रम में मंच पर क्षेत्र संघचालक अशोक जी सोनी, विभाग संघचालक शैलेंद्र जी महाजन उपस्थित थे. संचालन विभाग शारीरिक शिक्षण प्रमुख मुकेश जी खरे ने किया. संगठन मंत्र से प्रारंभ हुआ व प्रार्थना के साथ बैठक समाप्त हुई.

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