असम में बाढ़ राहत के लिए संघ के स्वयंसेवकों का भागीरथ अभियान

जयपुर (विसंकें)। यूं तो आपदाएं बता कर नहीं आतीं, परंतु कई बार वे इतनी अचानक व तेजी से आती हैं कि संभलने का मौका ही नहीं देतीं। इन दिनों पूर्वोत्तर में भी कुछ ऐसा ही घट रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी व बारिश से आया पानी असम आते-आते भीषण बाढ़ में बदल गया है। अब तक जिन गाँवो में लोगों ने अपने जीवन में कभी दो फीट पानी भी नहीं देखा था, वे प्रशासन की खतरे की चेतावनी को गंभीरता से क्यों लेते? नतीजा बाढ़ से जन धन को काफी नुकसान हुआ है। परंतु हमेशा की तरह राहत कार्यों में सबसे आगे रहने वाले संघ के स्वयंसेवकों ने इस बार भी अपनी सजगता व तत्परता से हजारों जिंदगियाँ बचाई हैं। जिस क्षण प्रशासन ने बारिश से बाढ़ की चेतावनी जारी की, स्वयंसेवकों की टीम सक्रिय हो गई। वरिष्ठ स्वयंसेवकों की आपात बैठक हुई और आसन्न आपदा से निपटने के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया गया। निर्देश पाते ही स्वयंसेवकों के दल के दल अपने सुरक्षित घरों से निकलकर बाढ़ संभावित निचले इलाकों की ओर निकल पड़े। गाड़ियों पर माइक लेकर रातभर गाँव-गाँव जाकर आने वाले खतरे के बारे में सूचना प्रसारित करने का क्रम शुरू कर दिया गया। आपदा के दौरान स्वयंसेवकों ने दिनरात सेवाकार्य में जुटकर ग्रोसरी किट, पानी की बोतलें, बिस्तर, कपड़े व टैंट पीड़ित परिवारों को बाँटे व चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध करवाईं।

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा अनेकों सेवा कार्य चलाए जाते हैं। सेवा विभाग द्वारा देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के 25136 प्रकल्प, शिक्षा के 89926 प्रकल्प, पिछडे़ वर्ग के उत्थान के लिए 38909 प्रकल्प व स्वावलंबन से जुडे़ 20548 प्रकल्प चलाकर समाज सेवा के अदभुत कार्य किया जा रहा है।

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