सेवा वह होती है जिसमें सेवक शब्द समाहित होता है-इन्द्रेश कुमार जी

विसंके जयपुर। सेवा शब्द कोई दिखावटी शब्द नहीं है, सेवा वह होती है जिसमें सेवक शब्द समाहित होता है। असली सेवा वह होती है जिसमें व्यक्ति का मन खुद को खुद से सेवक बनने को तैयार करता है यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारीणी सदस्य इन्द्रेश कुमार जी का, वह सवाई माधोपुर के श्री सिद्धेश्वर महादेव प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बोल रहे थे।

1 (1)1 (2)उन्होनें कहा कि किसी जरूरतमंद असहाय व्यक्ति की पूर्ण समर्पण के साथ मदद करना ही एक सच्ची सेवा होती है। सेवा और आध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं। सही में आध्यात्म की परिभाषा यह है जिसमें सामाजिक समरसता की कड़ी जुड़ी हो, जिसमें एक दूसरे के प्रति सहयोग हो और अपनी संस्कृति व धर्म की रक्षा हेतु अपना पूर्ण समर्पण हो, जिसमें राष्ट्र धर्म सबसे प्रधान हो और राष्ट्र के अंदर आवासित हर जन कर्तव्य और अधिकारों को एक दूसरे का पूरक समझे।

इन्द्रेश जी ने कहा की राष्ट्र में अस्पृश्यता जैसा कलंक दूर-दूर तक ना हो। कल क्या था इसे ना देखा जाए, लेकिन आज धर्म और संस्कृति की रक्षा किस तरह से हो उसे सर्वस्व माना जाए, उसके लिए ही संघर्ष किया जाए। हम ईश्वर की प्राण प्रतिष्ठा को तब ही सफल समझ सकते हैं जब हमने अपने आध्यात्म के ये पहलू निभाए हों, हमने सेवा तथा कर्तव्य और अधिकारों की इस महत्वपूर्ण परिभाषा को समझा हो और इसका अनुसरण किया हो। हमने आज के नवभारत निर्माण के लिए सेवक वाली समर्पित सेवा और सामाजिक समरसता व राष्ट्र की एकता व अखंडता की प्राण प्रतिष्ठा सच्चे भाव से की हो। उन्होंने सभा में उपस्थित सभी नागरिकों से सवाई माधोपुर को शराब मुक्त बनाने के लिए कहा तथा समाज में ऊंच-नीच और भेदभाव समाप्त करने पर जोर दिया।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

16 − 4 =