जोधपुर (विसंकें)। महान् दार्शनिक अभिनवगुप्त के शिवमय होने के हजार वर्ष पूर्ण होने पर जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर की ओर से 4 जनवरी को ‘संकल्प सत्र’ का आयोजन किया गया। विवेक संवित स्थल पर आयोजित इस कार्यक्रम की शुरूआत अनंत पीठाधीश पं. विजयदत्त पुरोहित ने दीप प्रज्वलित कर की। आयोजन समिति के मुखिया डॉ. नागेन्द्र शर्मा ने अभिनवगुप्त के सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना पर बल दिया। रंगकर्मी कमलेश तिवारी ने बताया कि शीघ्र ही अभिनवगुप्त के जीवन से जुड़े नाटकों का मंचन देशभर में किया जाएगा। जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के अयोध्या प्रसाद गौड़ ने आगामी महीनों में होने वाले आयोजनों की रूपरेखा प्रस्तुत की।इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने अभिनवगुप्त की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने और उसके संरक्षण करने का संकल्प लिया.
अभिनवगुप्त का एक परिचय
आधुनिक भौतिक शास्त्र के ध्वनि सिद्धांतों के प्रतिपादन से शताब्दियों पूर्व अभिनवगुप्त ने ‘ध्वनि’ को चौथा आयाम मानते हुए ध्वन्यालोक ग्रन्थ की रचना की थी। महाभारत की अनूठी व्याख्या करते हुए कौरव-पांडव युद्ध को अविद्या-विद्या संघर्ष के रूप में प्रस्तुत किया था। अभिनवगुप्त ने अपने शिष्यों के साथ शिवस्तुति करते हुए श्रीनगर के पास बड़गांव जिले के बीरवा गांव की गुफा में प्रवेश किया, जहां उन्हें 4 जनवरी 1016 को शिवत्व की प्राप्ति हुई.
अभिनवगुप्त ने काश्मीर की प्राचीन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नए और समन्वयकारी रूप में प्रस्तुत किया. काश्मीर के दिग्विजयी राजा ललितादित्य के अनुरोध पर अभिनवगुप्त के पूर्वज अत्रिगुप्त श्रीनगर पहुंचे थे. दुनिया के जाने माने विश्वविद्यालयों में उनके ग्रंथों पर व्यापक शोध जारी हैं और अंग्रेजी के अलावा फ्रेंच, जर्मन और स्पेनिश भाषा में उनके बारे में कई ग्रन्थ लिखे गए हैं।
अभिनवगुप्त तंत्रशास्त्र, साहित्य और दर्शन के प्रौढ़ आचार्य थे और इन तीनों विषयों पर 50 से ऊपर मौलिक ग्रंथों, टीकाओं तथा स्तोत्रों का निर्माण किया है. अभिरुचि के आधार पर इनका सुदीर्घ जीवन तीन काल विभागों में विभक्त किया जा सकता है. जीवन के आरंभ में अभिनवगुप्त ने तंत्रशास्त्रों का गहन अनुशीलन किया तथा उपलब्ध प्राचीन तंत्रग्रंथों पर अद्वैतपरक व्याख्याएं लिखकर लोगों में व्याप्त भ्रांत सिद्धांतों का सफल निराकरण किया. क्रम, त्रिक तथा कुल तंत्रों का अभिनव ने क्रमश: अध्ययन कर तद्विषयक ग्रंथों का निर्माण इसी क्रम से संपन्न किया.