पर्यावरण के दायरे में ही अर्थशास्त्र की शाश्वत प्रगति हो सकती है……..

 

अनिल बोकिल

अनिल बोकिल

विसंके जयपुर, 24 दिसम्बर। पर्यावरण के अन्दर ही अर्थषास्त्र होना चाहिए है, पर्यावरण के दायरे में ही अर्थषास्त्र की शाश्वत प्रगति हो सकती है। इस से परे चल कर नहीं। मुद्रा माध्यम बननी चाहिए वस्तु नहीं। वस्तु बनेगी तो गरीब तक नहीं पंहुचेगी। यह कहना था अर्थक्रांति के संस्थापक और प्रमुख अर्थशास्त्री अनिल बोकिल का वह आज जयपुर के सुबोध पी.जी. कॉलेज सभागार में वर्तमान अर्थ नीति एवं ग्राहक विषय पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत द्वारा आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

उन्होनें कहा कि भ्रष्टाचार, कालाधन और आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए नोट बंदी आवश्यक थी। जिसके सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में हमे देश की अर्थव्यवस्था में देखने को मिलेगें। बडे नोट बंद होने से जाली नोट बजार में नहीं होगें। जी.एस.टी. देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए एक पायदान है, समय के अनुसार सरकार को राष्ट्र और समाज के हित के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार करने चाहिए जिसका फायदा सामान्य व्यक्ति को मिले। देश में एक कर का प्रावधान होना चाहिए।

अनिल बोकिल ने कहा कि समाज परिवर्तन का वाहक बनने के लिए हमें जागरूक बनना पडेगा। क्यांकि सरकार व्यक्ति के लिए काम नहीं कर सकती, समाज के लिए काम करती है। लेकिन बाजार व्यक्ति के लिए काम करता है।

आम जन प्रसन्न भय मुक्त, शोषण मुक्त हो – देवनानी
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि आम जन प्रसन्न भय मुक्त, शोषण मुक्त हो, किसान और व्यापारी में सामंजस्य हो।
उन्होनें कहा की भारत में व्यापार और विनिमय प्राचीन काल से हो रहा है। देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए मुगलो और अंग्रेजो ने अनेक प्रयास किये। हम राष्ट्रीय चिंतन छोड रहे है, चाहे वो कृषि, शिक्षा, चिकित्सा या कोई भी अन्य क्षेत्र हो, जिसके कारण देश में उत्पाद बढने के बाद भी ग्राहक का शोषण नहीं रूका है। वैशविक युग के अनुसार ही नीतियांं का निर्माण होना चाहिए।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण देशपाण्डे, राष्ट्रीय सचिव दुर्गाप्रसाद सैनी सहित प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।

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