डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के संदर्भ में कही गई तीन बातों का स्मरण करते रहना चाहि—
1.केवल ताकत का ही सम्मान होता है।
2.भारत को एक मूल्यप्रधान एवं शक्तिशाली राष्ट होना होगा।
3.जब कोई राष्ट हथियारयुक्त राष्टों से घिरा हो तो उसे भी हथियारयुक्त होना होगा।
डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा मुझे तीन बार परमानंद मिला।
1.मैंने 20 वर्ष ‘इसरो’ में बिताये। भारत के प्रथम प्रक्षेपणया एसएलबी—3 की परियोजना का निदेशक रहा। इससे ‘रोहिणी’ का प्रक्षेपण हुआ। मुझे परमानंद मिला।
2.इसके बाद मैं DRDO (रक्षा अनुसंधान विकास संगठन) में आ गया। 1994 में अग्नि मिसाइल बनाई। मुझे दूसरा परमानंद मिला।
3.1998 को सम्पन्न परमाणु परीक्षणों पोकरण में मैंने अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह मेरे लिए तीसरा परमानंद था। इससे मुझे भारतीय होने का महान् गौरव का अहसास हुआ।
”1998 के पोकरण बम विस्फोट के समय कलाम ने कहा कि मैंने अपने पैरों के नीचे धरती को दहला देनेवाले कंपन सुना और बढती भयावहता को भी महसूस किया। मेरे लिए यह वेहद खूबसूरत नजारा था। ”
—ए.पी.जे.अब्दुल कलाम