दक्षिण के सेनापति यादवराव जोशी

उन्होंने अपने फालोअर्स बनाने की कोशिश कभी नहीं की, सबकी सेवा के लिए हाथ बढ़ाए व लोग उनके पीछे चलते गए । यादवरावजी की प्रेरणा से शुरू हुई राष्ट्रोत्थान परिषद,  एक ओर जरूरतमंद मरीजों के लिए बैंगलौर का सबसे बड़ा ब्लड बैंक चलाती है जिसमें गरीब मरीजों को सबसे कम पैसे में खून मिलता है तो दूसरी ओर झुग्गियों के बच्चों के लिए फ्री कोचिंग सेंटर चलाती है ।केरल में छोटे –छोटे बच्चों को  बालगोकुलम के जरिए भारत की संस्कृति से जोड़ने के प्रेरक भी यादवरावजी ही थे ।

नागपुर में 3 सितंबर 1914 को अनंतचतुर्दशी के पर्व पर वेदपाठी परिवार में जन्में यादवरावजी का बचपन गरीबी व अभावों में बीता.जब कठिनाईयों को दूर करने के लिए धन कमाने का समय आया तब एम.ए व लाँ करने के बाद वे प्रचारक निकल गए ।उन दिनों इतने पढ़ेलिखे लोगों बहुत कम मिलते थे ।  यादवरावजी ने हर उस चीज का त्याग किया जो उन्हें नाम  दे सकती थी बाल भास्कर के रूप में जाने जाने वाले यादवरावजी के गायन प्रतिभा का लोहा भीमसेन जोशी भी मानते थे पर संघ कार्य के लिए उन्होंने  संगीत  से भी सन्यास ले लिया ।संघ की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले को पहली बार गाने वाले जोशीजी पर गाँधी हत्या के लिए गोड़से को उकसाने का आरोप लगा तब व 1975 में दोनों बार संघ पर प्रतिबंध के समय वे जेल गए व हर बार दुगुनी ऊर्जा से संघकार्य में लग गए ।दक्षिण के सेनैपति कहे जाने वाले जोशीजी ने तमिलनाडू ,केरल , कर्नाटक एवं  आँध्रप्रदेश में संघकार्य की नींव रखी व सेवा को संघ के काम में शामिल किया ।

सेवाव्रती ट्रेंड भी किए जा सकते हैं यादवरावजी की इस सोच ने बैंगलौर में  हिंदू सेवा प्रतिष्ठान को जन्म दिया ।प्रतिष्ठान ने युवा लड़के लड़कियों को सोशल सर्विस की ट्रेनिंग देकर तीन साल इंटीरियर गाँवों में सेवा करने भेजा । अब तक संस्था के जरिए 5000 से अधिक सेवाव्रती ट्रेंड किए जा चुके हैं जिनमें से कईयों ने अपना जीवन सेवा को समर्पित कर दिया । स्वयं जीवन भर बेहद सादगी भरा जीवन जीकर, अंतिम साँस तक देश व समाज के लिए कार्य करने वाले यादवरावजी संघ के पहले अघोषित अखिलभारतीय सेवाप्रमुख थे ,जिन्होंने सेवाविभाग की रचना से पहले से संघ को सेवा से जोड़ा ।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 + eight =