अतीत में हुई गलतियों की पुनरावृति रोकने के लिए साहित्य पढ़े : स्वांत रंजन

तीन दिवसीय पुस्तक मेला सम्पन्न

सीकर । विश्व संवाद केंद्र द्वारा बजाज रोड़ स्थित जैन भवन में आयोजित तीन दिवसीय शेखावाटी ज्ञान गंगा पुस्तक मेला, गुरुवार को सफलतापूर्वक सपंन्न हो गया। मेले में सुबह से ही पुस्तक प्रेमियों की भीड़ देखने को मिली। अभिभावक अपने बच्चों के साथ पूरे उत्साह के साथ नज़र आए तथा पुस्तक प्रेमी अपनी पसदीदा पुस्तकों का बैग हाथ में लेकर चलते हुए अत्यंत प्रसन्न थे।

मेले की समापन अवसर को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा कि आधुनिक दौर में पुस्तक मेले का आयोजन बहुत कठिन होता जा था है, लेकिन समाज को सही दिशा देने के लिए पुस्तक मेलो का आयोजन बहुत जरुरी हो गया है। समाज में चलने वाले अच्छे कार्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होने कहा कि हर व्यक्ति पुस्तक खरीदकर पढ़े तथा परिवार व समाज को दिशा प्रदान करें। आज विचारों की प्रतिद्वंदता के दौर में किसी के विचारों को जाने बिना उस पर कटाक्ष करने का आपका कोई अधिकार नहीं है। महापुरुषों ने कहा है कि इतिहास में हमसे हुई गलतियों को सुधरने के लिए साहित्य का अध्यन करें।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पशुपति शर्मा ने कहा कि हम पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं, इसके चलते युवाओं में तनाव बढ़ रहा है। सद साहित्य पढ़ने से मन संतुलित होकर तनाव कम होता है। इसलिए हमको साहित्य अवश्य पढ़ना चाहिए। इस दौरान अतिथियों ने समाज जीवन के क्षेत्र में प्रेरणादायी कार्य करने वाली प्रतिभाओ का सम्मान किया गया। इस दौरान मनोज कुमार,  विभाग प्रचारक विशाल समेत बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

“आजादी, एकता व समरसता था क्रांतिकारियों का लक्ष्य”

मेले के अंतिम दिन आयोजित समरसता के सवाहक वीर सावरकर पर संवाद सत्र में सामाजिक कार्यकर्ता तुलसीनारायण ने कहा कि वीर सावरकर के विचार आज भी देश में प्रासंगिक है, लेकिन राजनैतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए कुछ लोग सावरकर के बारे में भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। जबकि सावरकर ने आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत व सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए अविस्मरणीय कार्य किया था। उन्होंने कहा कि हिंदू का मतलब सर्वधर्म सम्भाव, जिओ और जीने दो जैसे सर्वव्यापी विचार है, लेकिन लोग वोट बैंक की लिए वीर सावरकर के विचारों की गलत व्याख्या करके समाज को भ्रमित कर रहे हैं। सामाजिक मुद्दों का राजनीतीकरण कर दिया, सिर्फ वोट के लाभ के लिए समाज का विभाजन करके विखंडन किया जा रहा है। जिन लोगों ने अतीत में महान काम किए थे उनके काम को अबकी पीढ़ी को नहीं पढ़ाकर सोशल मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार करके भ्रम पैदा किया जा रहा है। गांधीजी व सावरकर दोनों ने ही समाज उतथान के लिए कार्य किया था। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी केएल बैरवा ने कहा कि प्राचीन समय में समाज में कोई भेदभाव नहीं था, स्वयं माता सीता वाल्मीकि के आश्रम में रही, लेकिन कालांतर में परिस्थितियों के कारण भेदभाव बढ़ा। बाबा रामदेव ने सभी समाजो के उतथान के लिए कार्य किया। महात्मा ज्योतिबा फुले, साहू जी महाराज, डॉ. अम्बेडकर, विवेकानंद व सावरकर जी ने वंचित वर्ग कि शिक्षा के लिए कार्य किया। उन्होने कहा कि सावरकर ने कहा था भारत में रहने वाले सभी हिंदू है, समाज में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है, कालापानी कि सजा काटने बाद उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के का कार्य किया, सावरकर ने पतित पावन मंदिर की स्थापना की तथा स्कूलों में जाकर भेदभाव दूर करने का अविस्मरणीय काम किया। ऊंच-नींच के भाव को दूर किया, सभी हिन्दू हैं इसी भाव के साथ समाज को समरस करने का प्रयास किया। लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए महापुरुषों को बेवजह बदनाम करते हैं, डॉ. अम्बेडकर भी सावरकर के सम्पर्क में आकर प्रभावित हुए थे, सावरकर ने आजादी के आंदोलन के लिए युवाओं को प्रेरित किया। उनके प्रयासों से अनेको क्रांतिकारी तैयार हुए। आज उनके विचारों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

18 सेशन में हुआ साहित्य पर संवाद

मेले के आखिरी दिन काफी संख्या में पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़ी। मेले में हर उम्र के पुस्तक प्रेमी देखने को मिले। क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या जवान… हर कोई अपनी पंसद की पुस्तक खोजता नजर आया। 25 फरवरी को शुरू हुए तीन दिवसीय मेले की थीम “भारत का विचार” पर रखी गई थी। जिसमें दर्जनभर से ज्यादा प्रकाशकों के अलावा राष्ट्रीय विचारों के प्रकाशकों की पुस्तकें भी मेले में आकर्षण का केंद्र रहीं। वर्ष-दर-वर्ष सीकर में होने वाले पुस्तक मेले की बढ़तीं ख्याति यह साबित करती है कि नि:सदेह ज्ञान और अच्छे साहित्य की चाहत तथा पुस्तको के प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ रहा है। साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी मेले की रौनक में चार चाँद लगाए। मेले के दौरान संगीत, पैनल चर्चा, लोकार्पण समारोह, कार्यशालाएँ, चर्चाएँ, लेखकों से भेंट, सेमिनार, रंगोली प्रतियोगिता और क्विज आदि कार्यक्रमों की धूम रही। जहाँ पुस्तक प्रेमियों ने इन गतिविधियों का आनंद उठाया।

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