मेरठ में मकान बेचने को मजबूर हो रहे हैं हिन्दू

प्रह्लादनगर से हिन्दू पलायन पर जितनी खबरें सामने आई हैं उनमें इस बात को सही माना गया है कि इस कॉलोनी से पिछले कुछ साल में बड़ी संख्या में हिन्दू परिवार अपने मकान बेचकर कहीं और बस गए हैं। बगल की मुस्लिम बस्ती के असामाजिक तत्वों ने हिन्दुओं का जीना मुहाल किया हुआ है

प्रह्लाद नगर में एक हिन्दू परिवार के मकान के बाहर मजहबी उपद्रव से परेशान होकर लिखा ‘बिकाऊ है’ का संदेश

जयपुर (विसंकें)। उत्तर प्रदेश का शहर मेरठ इन दिनों चर्चा में है। ताजा मामला इस शहर की प्रह्लाद नगर कॉलोनी से जुड़ा है। खबर है कि यहां से हिन्दू पलायन कर रहे हैं। पिछले करीब दशक भर में यहां से करीब आधी हिन्दू आबादी अपने घर बेचकर दूसरी हिन्दू बहुल बस्तियों में जाकर बस चुकी है। पिछले हफ्ते एक बार फिर उनके पलायन की खबर छपने के बाद यह मामला राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना है। जहां प्रशासन ऐसे किसी भी दावे से इनकार कर रहा है तो वहीं न्यूज चैनल प्रह्लाद नगर में इस दावे का सच जानने के लिए रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

इस पूरी खबर की विवेचना करने से पहले प्रह्लाद नगर की पृष्ठभूमि जान लेना जरूरी है। करीब 70 वर्ष पहले पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए पंजाबी हिन्दुओं और सिखों को प्रह्लाद नगर में बसाया गया था। इस कॉलोनी में करीब दर्जन भर मंदिर और गुरुद्वारे हैं। दो दशक पहले तक इस कॉलोनी में करीब 900 से ज्यादा हिन्दू परिवार रहते थे जो वर्तमान में घटकर 400 के आसपास रह गए हैं। प्रह्लाद नगर से सटी एक सघन मुस्लिम आबादी वाली बस्ती भी है, जिसका नाम इस्लामाबाद है।

प्रह्लादनगर से हिन्दू पलायन पर जितनी खबरें सामने आई हैं उनमें इस बात को सही माना गया है कि इस कॉलोनी से पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में हिन्दू परिवार अपने मकान बेचकर कहीं और बस गए हैं। लेकिन ऐसा करने के पीछे के कारण सांप्रदायिक ना मानकर इसे कानून-व्यवस्था से जोड़ कर देखा जा रहा है।

उन्मादियों के डर का सबूत: यह मकान भी ‘बिकाऊ है’

प्रह्लादनगर में हो रहे विस्थापन के पीछे गोलीबारी, बाइक से स्टंटबाजी, छेड़छाड़, चैन झपटमारी, गुंडागर्दी जैसे कारण बताए जा रहे हैं। अजीब बात है कि अगर पलायन के पीछे यही कारण है तो सिर्फ हिन्दू आबादी ही क्यों इस कॉलोनी को छोड़कर जाने को मजबूर है? इस स्टंटबाजी से परेशान होकर मुस्लिम समुदाय के लोग क्यों मकान बेचकर पलायन नहीं कर रहे? दूसरी बात यह कि अगर किसी मोहल्ले के लोग खराब कानून-व्यवस्था के चलते एक-एक करके अपने मकान बेचने पर मजबूर हैं तो कोई दूसरा समाज ऐसी कॉलोनी में क्यों बसना चाहेगा?

जो लोग प्रह्लादनगर को सिर्फ कानून-व्यवस्था के चश्मे से देखना चाहते हैं उन्हें एक बार फिर मेरठ शहर की विभिन्न कॉलोनियों की ‘डेमोग्राफी’ का अध्ययन करना चाहिए। मेरठ शहर में करीब आधा दर्जन से ज्यादा ऐसी कॉलोनियां हैं जो दो दशक पहले तक हिन्दू बहुल हुआ करती थीं। इनमें जनकपुरी, विकासपुरी, श्याम नगर, हरिनगर, बैंक कॉलोनी, पटेल नगर प्रमुख हैं पर आज इन कॉलोनियों में हिन्दू लगभग समाप्त हो चुके हैं।

प्रह्लाद नगर से हिन्दू पलायन क्यों कर रहे हैं, इसका जवाब ढूंढने के लिए यह जानना जरूरी है कि विकासपुरी जैसी कॉलोनियों से हिन्दुओं ने पलायन क्यों किया। एक के बाद एक कॉलोनियों के नाम बदलते जाते हैं, नहीं बदलता तो पलायन करने वालों का धर्म और सस्ती कीमतों में उनके मकान खरीदने वालों का मजहब। मकान बेचने के लिए जिस तरह का दबाव जनकपुरी, विकासपुरी, श्यामनगर, हरिनगर, बैंक कॉलोनी, पटेलनगर के हिन्दुओं पर बनाया गया वही हथकंडा प्रह्लादनगर के हिन्दुओं पर आजमाया जा रहा है। खुद प्रह्लादनगर वासियों का कहना है कि ‘इस्लामाबाद’ से आए दिन असामाजिक तत्व कॉलोनी में आकर हुड़दंग मचाते हैं। विरोध करने पर संघर्ष जैसी स्थिति बन जाती है। अब मेरठ शहर कश्मीर घाटी जैसा तो है नहीं कि रातों-रात धर्म के आधार पर एक समुदाय को भगा दिया जाए इसलिए रोज किसी ना किसी बात पर संघर्ष जैसी स्थिति बनाकर दबाव तैयार किया जाता है जिससे हिन्दू खुद ही ओने-पौने दामों पर अपने मकान बेचकर चले जाएं। क्यों प्रह्लादनगर के लोग प्रशासन से ‘इस्लामाबाद’ की तरफ गेट, सीसीटीवी कैमरे और गार्ड लगाने के मांग कर रहे हैं?

प्रह्लादनगर में रहने वाले नीरट बटला इस विषय में भावुक होकर कहते हैं, ”70 साल पहले हम पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए थे, आज फिर पलायन के लिए मजबूर हैं। हम कब तक भागें और क्यों भागें। हर आदमी शहर के बीचों-बीच रहना चाहता है ताकि सभी सुविधाएं पास में ही मौजूद हों, लेकिन जैसी स्थिति बनाई जा रही है ऐसे में यहां रह पाना आएदिन मुश्किल होता जा रहा है।”

एक मकान खरीदने से शुरू करके धीरे-धीरे पूरी कॉलोनी पर एक ही मजहब का राज चाहने वाली सांप्रदायिक, विस्तारवादी मानसिकता पर सवाल करने की जगह प्रशासन और मीडिया इस पूरे मामले को कुछ और ही रंग देने में लगे हैं। लेकिन सच्चाई से मुंह फेरने से सच नहीं बदल सकता। हकीकत यह है कि कल जो विकासपुरी में हो रहा था आज वही प्रह्लादनगर में हो रहा है और आज जो प्रह्लादनगर में हो रहा है, कल शास्त्री नगर में होगा।

मेरठ की शास्त्री नगर कॉलोनी में भी इसी तरह की स्थिति पैदा होनी शुरू हो गई है। 10 साल बाद जब सब प्रह्लाद नगर को भूल चुके होंगे तब शास्त्री नगर को लेकर इसी तरह के सवाल खड़े होंगे, जैसे आज विकासपुरी को भूलकर प्रह्लाद नगर पर को लेकर सामने आ रहे हैं।

मेरठ की शास्त्री नगर कॉलोनी में भी इसी तरह की स्थिति पैदा होनी शुरू हो गई है। 10 साल बाद जब सब प्रह्लाद नगर को भूल चुके होंगे तब शास्त्री नगर को लेकर इसी तरह के सवाल खड़े होंगे, जैसे आज विकासपुरी को भूलकर प्रह्लाद नगर को लेकर सामने आ रहे हैं।

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