सपा सांसद शफीकुर्ररहमान ने वन्दे मातरम का लोकसभा में किया विरोध

बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा रचित राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ को लेकर मुसलमानों ने अभी भी बहस छेड़ रखी है. मज़हबी लोगों को डर है कि इस राष्ट्रगीत के उच्चारण मात्र से उनका इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा. अबकी बार इस बहस को सपा सांसद ने लोकसभा में शपथ ग्रहण के दौरान उठाया. सत्रहवीं लोकसभा के लिए चुन कर आये लोकसभा सदस्य जब शपथ ग्रहण कर रहे थे. उस समय उत्तर प्रदेश के संभल लोकसभा सीट के सपा सांसद शफीकुर्ररहमान ने शपथ लेने के बाद जोर देते हुआ कहा कि ‘वह वन्दे मातरम के खिलाफ हैं.’

संभल लोकसभा सीट के सपा सांसद शफीकुर्ररहमान

शपथ लेने के बाद सपा सांसद शफीकुर्ररहमान ने ‘वन्दे मातरम’ कहने से मना कर दिया. उन्होंने बताया कि “ यह इस्लाम विरोधी है. यह इस्लाम के खिलाफ है और हम इसे नहीं मान सकते हैं.” सपा सांसद शफीकुर्ररहमान के इस बयान के बाद लोकसभा में उपस्थित सांसदों ने ‘वन्दे मातरम’ और ‘जय श्री राम’ का उद्घोष शुरू कर दिया. कुछ सांसदों ने शफीकुर्ररहमान के उक्त बयान का विरोध भी किया.
वन्दे मातरम् का अर्थ है – अपनी मातृभूमि की वंदना. मगर मज़हबी लोगों को इससे परहेज है. वह बताते हैं कि यह इस्लाम के खिलाफ है. वो लोग – वन्दे मातरम् – के उच्चारण से भी डरते हैं. आम मुसलमानों के मन में यह बात घर कर चुकी है कि – वन्दे मातरम् – का उच्चारण करने मात्र से इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा. वन्दे मातरम को लेकर एक अरसे से राजनीति अहर्निश जारी है, जो फिलहाल रूकती नहीं दिख रही है.
वन्दे मातरम को लेकर आये दिन कोई न कोई ओछी राजनीति सामने आती रहती है. वर्ष 2018 के जनवरी माह में मेरठ जनपद में वन्दे मातरम को लेकर बवाल हुआ. नगर निगम के चुनाव में बसपा की सुनीता वर्मा मेयर चुनी गयीं. मेयर निर्वाचित होने के बाद बोर्ड की पहली बैठक में ही उन्होंने आदेश दिया कि “वन्दे मातरम गीत नहीं गाया जाएगा. भाजपा के पार्षदों ने उनके इस फैसले का विरोध किया. इसके बाद नगर निगम परिसर में जमकर बवाल हुआ.
उधर , आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी का इस बारे में कहना है कि “ देश के मुसलमानों को राष्ट्रगान गाने में कोई आपत्ति नहीं है. मगर राष्ट्रगीत गाने को लेकर आपत्ति है. संविधान में ऐसा कोई अनुच्छेद नहीं है जो मुसलमानों को राष्ट्रगीत गाने के लिए बाध्य करता हो. हम राष्ट्रगान गाते हैं मगर राष्ट्रगीत नहीं गायेंगे”
वन्दे मातरम पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित देवबंद दारूल उलूम फतवा भी जारी कर चुका है. फतवे में कहा गया था कि “ वन्दे मातरम, इस्लाम के एक ईश्वरवाद और उनकी पूजा के खिलाफ है. इसलिए मुसलमानों के बच्चों को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए. इस्लाम केवल अल्लाह की पूजा की अनुमति देता है. मुसलमान , अल्लाह के अलावा अन्य किसी की पूजा नहीं कर सकते हैं.”
इसके बाद सुन्नी मुसलमानों के संगठन जमीयत – ए- हिन्द ने वर्ष 2009 में देवबंद दारूल उलूम द्वारा जारी फतवे का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. प्रस्ताव में कहा गया कि “वन्दे मातरम का गान गैर इस्लामिक है.” अभी हाल ही में , मुसलमानों को प्रसन्न करने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वन्दे मातरम के गायन पर रोक लगा दिया. मध्य प्रदेश के सचिवालय में महीने के प्रथम दिन वन्दे मातरम गायन की परम्परा वर्षों से चली आ रही थी. कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस पर रोक लगा दिया. कमलनाथ के इस फैसले का भाजपा ने जबरदस्त विरोध किया. पहले तो कमलनाथ ने यह जवाब दिया था कि “ जो लोग वन्दे मातरम नहीं गाते. क्या वो लोग देश भक्त नहीं है.” मगर हर तरफ हो रहे विरोध को देखते हुए कमलनाथ ने कहा कि वन्दे मातरम् को नए स्वरुप में शामिल किया जाएगा.आखिर में यह प्रश्न अनुत्तरित ही है कि मुसलमानों को राष्ट्रगीत -वन्दे मातरम- से परहेज क्यों है ?

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