— जयपुर के 40 सेवा प्रकल्पों का वार्षिकोत्सव
—सेवा प्रकल्पों से जुड़े बच्चों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियां
जयपुर। सेवा भारती, जयपुर महानगर के 40 सेवा प्रकल्पों का वार्षिकोत्सव 7 फरवरी को जयपुर की बालिका विद्यालय, अंबाबाडी में आयोजित हुआ जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। सेवा प्रकल्पों से जुडे नन्हे—बच्चों ने देशप्रेम, धर्म और सामाजिक सदभाव से ओतप्रोत संगीतमय प्रस्तुतियों के जरिए उपस्थित जन समूह की खूब वाहवाही लूटी।बच्चों ने नटक—नाटिकाओं के माध्यम से बेटी को बचाने, पढाने के साथ भारत को स्वच्छ स्वस्थ बनाने की सीख दी।
समारोह के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,उत्तर—पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रचारक श्री दुर्गादास जी थे। उपस्ति जन समूह को संबोदित करते हुए श्री दुर्गादास जी ने कहा कि अभाव की पूर्ति का नाम ही सेवा है और यह अभाव पूर्ति का काम सेवा भारती बखूबी कर रही है। सामाजिक विषमता को दूर कर समरसता का संदेश फैलाने का जो बीडा सेवा भारती ने उठाया हुआ है वह अनुकरणीय है। खासकर समाज के वंचित, अभाव और गरीबी से जूझ रहे वर्ग को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास जिस तरह सेवा भारती कर रही है उसका प्रभाव अब सामने आने लगा है।
उन्होंने सेवा बस्तियों में चलाए जा रहे बाल संस्कार केन्द्रों की प्रशंसा करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जहां विद्यार्थी स्कूल न जाएं वहां स्कूल को विद्याथियों तक जाना होगा। सेवा भारती इसी भाव के साथ बाल संस्कारों के जरिए अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रही है। सेवा भारती समाज के सुदामा बंधुओं के पास खुद पहुंचती है, यही सच्ची सेवा है।
राजधानी की सेवा बस्तियों में सेवा प्रकल्प के जरिए सामाजिक समरसता का जो प्रयास चल रहा है उसका प्रभावी रूप ही आज इस वार्षिकोत्सव के जरिए हम सबके सामने हैं। वंचित, गरीब और अभावग्रस्त क्षेत्र के बच्चों में सक्षम परिवारों के बच्चों के समान प्रतिभा का बीजारोपण प्रस्फुटित हो रहा है।
समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थान के समाज कल्याण मंत्री अरुण चतुर्वेंदी ने कहा कि देश में सामाजिक सदभाव बिगाडऩे के वातावरण के बीच सेवा भारती द्वारा देशभर में चलाए जा रहे हजारों सेवा कार्यों के जरिए सामाजिक समरसता का कार्य प्रभावी सिद्ध हो रहा है। ऐसे कार्यक्रमों में सहभागी बनने को सौभाग्य बिरले ही मिलता है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष पवन गोयल व विशिष्ट अतिथि बजरंग लाल खेतान थे।